कांग्रेस शिवकुमार को सीएम बनांगी तो CBI खोल देगी फाइलें

कर्नाटक में सीएम बनाने को लेकर काफी मंथन चल रहा है। कई कारण है इसलिए शिवकुमार को सीएम बनाने से बच रही है। राजनीतिक जानकार मान रहे है कि शिवकुमार के सीएम बनते ही सीबीआई उनकी फाइलें खोल देंगी। कर्नाटक के डीजीपी को सीबीआई डायरेक्टर बनाया गया है। उनको शिवकुमार ने नालायक कहा था। चुनाव का रिजल्ट आने के एक दिन बाद ही कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद को सीबीआई का नया प्रमुख नियुक्त कर दिया गया। हालांकि, नियुक्ति समिति में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चैधरी भी थे। उन्होंने सूद के नाम का विरोध किया था। माना जा रहा है कि डीके शिवकुमार अगर मुख्यमंत्री बनते तो ब्ठप् एक बार फिर आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच तेज कर सकती थी। इसमें सीबीआई CBI के नए प्रमुख की भूमिका अहम होती।

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मुख्यमंत्री बनते ही अगर सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां डीके से पूछताछ करतीं या फिर गिरफ्तार कर लेतीं तो कांग्रेस की किरकिरी होती और सरकार भी उलझ जाती। इससे यह संदेश जाता कि कांग्रेस ने एक भ्रष्टाचारी आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया। डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री न बनाए जाने के पीछे ये सबसे बड़ी वजह है।

शिवकुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी के साथ साथ 19 मामले

डीके शिवकुमार पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी समेत 19 से ज्यादा केस दर्ज हैं। 8 करोड़ रुपए से अधिक के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी चार्जशीट पेश कर चुकी है। वहीं सीबीआई आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी जांच कर रही है। साल 2017 में शिवकुमार और उनके सहयोगियों पर 300 करोड़ रुपए से अधिक की आयकर चोरी का आरोप लगा था।

ईडी ने शिवकुमार पर मंत्री रहने के दौरान भारी मात्रा में अवैध और बेहिसाब कैश इकट्ठा करने का आरोप लगाया है। डीके शिवकुमार 1999-2004 तक एसएम कृष्णा सरकार में शहरी विकास मंत्री थे। 2013 में सिद्धारमैया सरकार में डीके ऊर्जा मंत्री थे। 2017 में शुरू हुई आयकर जांच में शिवकुमार पर एजुकेशन ट्रस्ट और रियल एस्टेट के बिजनेस के जरिए बेहिसाब और अवैध रकम को छिपाने का आरोप लगा था। आयकर विभाग ने अगस्त 2017 में डीके शिवकुमार से जुड़े लगभग 70 परिसरों में छापेमारी की थी। इस दौरान मिले सबूतों के आधार पर सीबीआई ने अक्टूबर 2020 में शिवकुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

 

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135 में से 90 विधायक सिद्धारमैया के पक्ष में

विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों से उनकी राय पूछी गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके लिए महाराष्ट्र के पूर्व ब्ड सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जितेंद्र सिंह और पूर्व जनरल सेक्रेटरी दीपक बाबरिया को ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के 135 में से 90 विधायक सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में थे। कर्नाटक के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री नहीं बनाना एक जोखिम भरा फैसला होगा।
सिद्धारमैया की सक्रिय राजनीति का आखिरी दौर

कर्नाटक में इस वक्त दो बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया हैं। येदियुरप्पा सक्रिय राजनीति में नहीं हैं। ऐसे में सिद्धारमैया राज्य के सबसे कद्दावर नेता बचे हैं। 1983 में पहली बार विधायक बने थे। सिद्धारमैया का प्रशासनिक अनुभव उनके पक्ष में एक और मजबूत पॉइंट साबित हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। दो बार डिप्टी सीएम रहे हैं। कर्नाटक के वित्तमंत्री के रूप में 13 बार बजट पेश कर चुके हैं।

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सिद्धारमैया का अहिंदा मंच है मजबूत

सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से हैं। कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा के बाद कुरुबा तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग में भी वे फिट बैठते हैं। अहिंदा के जरिए सिद्धारमैया ने अल्पसंख्यकों, ओबीसी और दलितों को कांग्रेस से जोड़ा है।

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