Builder-Buyer Controversy: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों के डूबने की ये हैं पांच मुख्य वजह

Builder-Buyer Controversy:हर दिन किसी न किसी बिल्डर से परेशान होकर लोग/ होम बायर्स धरना प्रदर्शन कर रहे होते हैं या फिर थानों में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये चक्कर काट रहे होते हैं। बिल्डर ने जो वादा किया था वो निभाया नहीं। काफी ऐसे लोग हैं जिनको फ्लैट तो मिला है लेकिन वो अब भी परेशान है। परेशानी का कारण है जो सुविधाएं बताई गई थी वो नहीं मिली। कंस्ट्रक्शन की गुणवत्ता भी बेहद खराब है, लेकिन हजारों लोग ऐसे हैं जिनको 10 साल बीतने के बाद भी फ़्लैट तक नहीं मिला और अभी उन्हें पता भी नहीं कब तक इंतजार करना होगा। इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है की आखिर बिल्डर क्यों डूब गए।

 

ये है मुख्य कारण

बिल्डरों के डूबने की वैसे तो कई वजहें हैं लेकिन पांच वजह बताएंगे की बिल्डर क्यों डूबे हैं। बताया जाता है कि पहली वजह है कि बिल्डर पेशे में ऐसे लोग आए जिनकी क्षमता नहीं थी लेकिन उन्होंने बस प्राधिकरण को देने के लिए 10ः भूखंड की धनराशि कई लोगों ने मिलकर इकट्ठा कर ली, बाद में प्रोजेक्ट बेचने के बाद काफी पैसा रिश्वत में चला गया। शुरूआत में बसपा फिर सपा नेताओं ने जमकर मलाई काटी। दूसरी वजह है कि कई पार्टनर्स में आपस में ही झगड़ा हो गया। जिस वहज सं प्रोजेक्ट रुक गया। तीसरी वजह ये है कि बसपा सरकार से बिल्डरों को जिन शर्तों पर भूखण्ड आवंटित होने शुरू हुए, उन शर्तों पर आम्रपाली और सुपरटेक जैसे बिल्डर धड़ाधड़ भूखंड लेते चले गए। साथ ही आवंटन की ऊपर की धनराशि भी दे दी। मगर प्रोजेक्ट बनाने के लिये पैसा नहीं बचा। आज भी बिल्डर दिवालिया है लकिन इनके पास लेडबैक काफी है। चौथी वजह है कि प्राधिकरण में हर काम के लिए बिल्डर को नजराना पेश करना पड़ रहा था। सुपरटेक के ट्वीन टावर सबसे अच्छा उदहारण है। पांचवी और सबसे बड़ी वजह है एक भूखंड लेकर जब बिल्डर ने सभी यूनिट बेच दिए तो उसको लगा कि अगला भूखंड लेते ही उसमें भी उनके यूनिट बिक जाएंगे। इसी के चलते बिल्डर डेब्ट ट्रैप में फंसते चले गए। नतीजा ये हुआ कि बिल्डर तो डूबा ही लेकिन हजारों लाखों लोगों के सपने भी चूर चूर कर दिए। उनकी ज़िन्दगी भर की मेहनत की कमाई बर्बाद कर दी।

 

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