यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण बनाम यादव, जानिए किस पार्टी को होगा फायदा

यूपी के इटावा में कथावाचक को जबरन गंजा करने के बाद एक नई बहस को जन्म दे दिया। जिसके चलते यूपी में मौजूदा समय में ब्राह्मण बनाम यादव के बीच टशन देखने को मिल रही है। इस पूरे के पीछे मामला एक कथावाचक से जुड़ा है, जो यादव समुदाय से आते हैं। हालांकि देश में कई ऐसे संत और कथावाचक हैं जो दलित और ओबीसी समुदाय से आते हैं। लेकिन उनके साथ ऐसी घटना कभी नहीं हुई, जैसा इटावा में हुआ। हालांकि इस घटना के पीछे कुछ और कारण सामने आए हैं, लेकिन जब तक मामले की जांच नहीं हो जाती है, कुछ भी कहना काफी जल्दबाजी मानी जा सकती है।

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण और यादवों को लड़ाने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि पिछले कुछ साल से इस तरह की खबरें आती रही हैं। पिछले आठ सालों में यह माहौल बनाने की कोशिश हो रही है कि कैसे योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद से यूपी में ठाकुरों का वर्चस्व बड़ा है और ब्राह्मणों को प्रताड़ित किया जा रहा है। दूसरी तरफ इटावा की घटना के सहारे नैरेटिव बनाया जा रहा है कि ब्राह्मण दूसरी जातियों का दमन कर रहे हैं। ऐसे में यूपी की राजनीति के केंद्र में वर्तमान में ब्राह्मण ही हैं। एक तरफ ब्राह्मणों के हाथ से सत्ता दूर होती जा रही है तो दूसरी तरफ उनके वोट के लिए राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष चल रहा है। अब कई सवाल जन्म ले रहे है।
इटावा में 25 जून को हई थी घटना
मालूम हो कि इटावा के एक गांव में 25 जून को घटना घटित हुई। जिसमें यादव समुदाय के एक कथावाचक के साथ मारपीट की गई। आरोप है कि स्थानीय ब्राह्मण समुदाय के कुछ लोगों को यह नागवार गुजरा कि एक गैर-ब्राह्मण (यादव) कथावाचन कर रहा था। कथावाचक का सिर के बाल मुंडवाया गए, उनकी नाक जमीन पर रगड़वाई गई, और उनसे माफी मांगने को मजबूर किया गया। इतना सब होन के बाद यादव कथावाचकों से बदसलूकी के मामले में ‘अहीर रेजिमेंट’ के लोग भारी संख्या में दांदरपुर गांव पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो भीड़ ने पथराव कर दिया। जिसके चलते पुलिस ने लाठियां भांजी। कुल मिलाकर अब ऐसी स्थिति बन गई है जो ब्राह्मणों और यादवों के बीच नफरत के बीज बोने का काम कर सकती है।

 

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