Ballia/Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक नेता, मुन्ना बहादुर सिंह, पर विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता लाल सिंह जाटव पर हमला करने का आरोप लगा है। यह घटना लाल सिंह जाटव के कार्यालय में हुई, जहां कथित तौर पर बीजेपी नेता ने अपने 20-25 साथियों के साथ मिलकर जाटव को जातिसूचक गालियां दीं और जूतों से उनकी पिटाई की। इस घटना को दलित समाज पर “जातिवादी आतंकवादी हमला” करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कड़ी निंदा की है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, यह हमला तब हुआ जब मुन्ना बहादुर सिंह और उनके समर्थक विद्युत विभाग के कार्यालय में पहुंचे। लाल सिंह जाटव, जो अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से हैं, ने मीडिया के सामने बताया कि उन्हें जातीय गालियां दी गईं और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में आक्रोश पैदा किया है, क्योंकि यह दलित समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों का एक और उदाहरण माना जा रहा है।
चंद्रशेखर आजाद की मांग
आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण ने इस घटना को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी: बीजेपी नेता मुन्ना बहादुर सिंह को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
2. SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई: आरोपी पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज हो।
3. पीड़ित को सुरक्षा: लाल सिंह जाटव और उनके परिवार को सरकारी सुरक्षा प्रदान की जाए।
चंद्रशेखर ने कहा, “यह हमला सिर्फ लाल सिंह जाटव पर नहीं, बल्कि पूरे बहुजन समाज की गरिमा, संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों पर हमला है। जब सत्ता संरक्षित जातीय आतंकी दफ्तरों में घुसकर अधिकारियों को पीटते हैं, तो यह साबित करता है कि कानून का राज नहीं, बल्कि जातीय गुंडागर्दी चल रही है।”
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस घटना की व्यापक निंदा हो रही है। कई यूजर्स ने इसे बीजेपी के संरक्षण में जातीय हिंसा का प्रतीक बताया है। एक यूजर ने लिखा, “सत्ता का संरक्षण पाते ही बीजेपी के जातिवादी गुंडे सरेआम आतंक मचा रहे हैं। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।” वहीं, अन्य सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना को दलित समाज पर सुनियोजित हमला करार दिया है।
पुलिस और प्रशासन की स्थिति
अभी तक इस मामले में पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, इस तरह के मामलों में पहले भी बलिया में बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठती रही है। उदाहरण के लिए, 2025 में बीजेपी नेता आलोक सिंह पर लखनऊ विश्वविद्यालय के एक दलित शोध छात्र को धमकी देने का आरोप लगा था, जिसके बाद SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
SC/ST एक्ट का महत्व
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, दलित और आदिवासी समुदायों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत जातिसूचक गालियां देना, शारीरिक हिंसा करना या अपमानित करना गंभीर अपराध माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर कुछ शर्तें लगाई थीं, लेकिन दलित संगठनों के विरोध के बाद सरकार ने इसे और सख्त किया।
आगे की राह
यह घटना बलिया जैसे क्षेत्र में, जहां दलित मतदाता राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, सामाजिक और राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है। स्थानीय लोगों और संगठनों ने मांग की है कि इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच हो ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इस घटना ने एक बार फिर सत्ता और जातीय हिंसा के बीच के कथित गठजोड़ पर सवाल खड़े किए हैं। समाज का एक बड़ा वर्ग अब उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन से इस मामले में कठोर कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है।

