YEIDA Plot Scam: यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Expressway Industrial Development Authority) की नीतियों के खिलाफ़ जाकर एक ही परिवार के लोगो ने 16 औद्योगिक भूखंड आवंटन करा लिए। पूरी जानकारी छुपा ली गई और प्राधिकरण से धड़ाधड़ आवंटन कराए गए। जब इस मामले में शिकायत की गई तो प्राधिकरण अधिकारी सतर्क हो गए। जांच पड़ताल के दौरान शिकायत सही पाई गई।
इन स्कीम में लिए थे भूखंड
बता दें कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 5 वर्ष पहले आवंटित औद्योगिक और टॉय पार्क की स्कीम में एक ही परिवार के अलग-अलग 16 आवंटियों के भूखंड कैंसिल कर दिए गए हैं। एसीईओ की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच में इन सभी 16 भूखंडों के आवंटन को मल्टीपल अलॉटमेंट की श्रेणी में पाया गया है। भूखंड आवंटन में गड़बड़ी के आरोपियों की जमा धनराशि में प्राधिकरण 20 प्रतिशत की कटौती कर लौटाएगा।
मालूम हो कि यमुना प्राधिकरण ने कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020 में औद्योगिक पार्क और टॉय पार्क के लिए कुल 855 भूखंडों की स्कीम लॉन्च की थी। यमुना सिटी के सेक्टर 29 में औद्योगिक पार्क के लिए 712 और सेक्टर-33 में टॉय पार्क के लिए 143 भूखंडों का आवंटन किया जाना है। इन योजनाओं में प्राधिकरण को 2785 आवेदन मिले थे और सत्यापन के बाद 495 आवेदनों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। 2290 आवेदनों के आधार पर 9 अक्टूबर 2020 को 855 भूखंडों पर ड्रॉ प्रक्रिया हुई और इसमें 700 आवेदनों को भूखंड आवंटित कर दिए गए। ड्रॉ के दौरान ही वहां मौजूद लोगों ने एक ही परिवार के एक से अधिक आवेदन सफल होने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। इसी आधार पर एसीईओ की अध्यक्षता में सात सदस्य समिति का गठन जांच कराई। इस जांच में 43 भूखंडों के आवंटन में प्रथम दृष्टया गड़बड़ी की आशंका जताई। जांच के पकड़ी गई गड़बड़ी पाई गई। जांच में दोषी पाए जाने वाले इन आवंटियों की जमा धनराशि से प्राधिकरण 20 प्रतिशत रकम काट वापिस करेगा।
Yamuna Expressway Industrial Development Authority
एक ही परिवार के शेयर होल्डर की कंपनियों को मिले थे भूखंड
जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि अमित अग्रवाल ने केएल वेजिटेबल ऑयल प्रोडेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से आवेदन किया था और इन्हें सेक्टर-29 में दो हजार वर्गमीटर का प्लॉट नंबर ए-179 आवंटित हो गया। इनके शेयर धारकों में रविंद्र अग्रवाल का 17.43 फीसदी, विजय कुमार अग्रवाल का अंशदान 16.73 फीसदी, विरेंद्र का 16.21 फीसदी, अमित अग्रवाल का 15.04 फीसदी, शम्मी अग्रवाल का 13.61 फीसदी और संजीव अग्रवाल का 15.65 फीसदी अंश दिखाया गया। जांच में पाया गया कि फर्म के कुल 28 अंशधारकों में से छह अंशधारकों की 90 फीसदी शेयर पर मालिकाना हक है। यह अंशधारक दूसरी कंपनी मैसर्स रविंद्र ऑयल एंड गीनिंग मिल्स के भी साझेदार हैं। इसी तरह की गड़बड़ी 15 अन्य मामलों में भी पाई गई।
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