मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्या बागची की बेंच ने मंगलवार (16 दिसंबर 2025) को सुनवाई के दौरान CBI से जून 2025 से अब तक की जांच में मिले किसी नए सबूत या सामग्री को पेश करने को कहा। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को तीन हफ्ते का समय देते हुए अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह मामला केंद्र सरकार की उस अपील पर चल रहा है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के 28 अगस्त 2025 के फैसले को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने डेफसिस के खिलाफ सरकार के निलंबन आदेशों को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि निलंबन केवल “संदेह” पर आधारित है और कंपनी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां:
• बेंच ने कहा कि जून 2025 का नवीनतम निलंबन आदेश सिर्फ “संदेह” पर आधारित है और CBI की जांच अभी जारी है।
• न्यायमूर्ति बागची ने पूछा: “अगस्तावेस्टलैंड मुख्य आरोपी है और उसके खिलाफ प्रतिबंध हटा लिया गया। डेफसिस पर आरोप है कि वह रिश्वत की रकम का माध्यम (कंड्यूट) थी। तो मुख्य अपराधी को राहत मिलने के बाद सहायक के खिलाफ कार्रवाई कैसे जारी रहेगी?”
• मुख्य न्यायाधीश ने कहा: “अगर CBI के पास कोई नया विश्वसनीय सामग्री आती है, तो सरकार नया शो-कॉज नोटिस जारी कर सकती है। फिलहाल सिर्फ संदेह है कि डेफसिस ने अगस्तावेस्टलैंड से आई रिश्वत की रकम को आगे पहुंचाया।”
पक्षों के तर्क:
• केंद्र की ओर से ASG केएम नटराज ने कहा कि यह रक्षा आपूर्ति का मामला है और अदालत का दखल न्यूनतम होना चाहिए। निलंबन CBI की रिपोर्ट पर आधारित है और जांच जारी है।
• डेफसिस की ओर से वरिष्ठ वकील एनके कौल ने तर्क दिया कि कंपनी किसी चार्जशीट में नामित नहीं है, कोई आरोप नहीं है और पिछले 4 साल से उसका पूरा कारोबार ठप पड़ा है। कंपनी केवल सरकार को ही सप्लाई करती है और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम का हिस्सा है।
कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता जताते हुए कहा कि अगर डेफसिस रिश्वत की रकम पार्क करने में शामिल पाई जाती है, तो यह गंभीर मुद्दा है। लेकिन फिलहाल सबूतों की कमी पर जोर दिया जाए।
अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी, जब CBI अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। यह मामला 2010 के ₹3600 करोड़ के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़ा है, जिसमें रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे। डेफसिस पर आरोप है कि वह अगस्तावेस्टलैंड से आई रकम का माध्यम बनी, लेकिन कंपनी इन आरोपों से इनकार करती है।

