प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गौरव द्विवेदी ने पुष्टि की, “फिल्म का प्रस्ताव प्राप्त हो चुका है और वह मूल्यांकन के दौर से गुजर रहा है।” फिल्म के निर्देशक उज्ज्वल चटर्जी हैं, जिन्हें 1992 में बांग्ला फिल्म ‘गोंदी’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। वे ‘एस्केप फ्रॉम तालिबान’ (2003) जैसी फिल्में भी निर्देशित कर चुके हैं। फिल्म में राज्यसभा सांसद और अभिनेत्री रूपा गांगुली पीड़ित की मां का किरदार निभाएंगी। चटर्जी ने बताया कि कहानी पीड़ित मां के नजरिए से बुनी जाएगी।
पीड़ित पिता का रोष
परिवार ने साफ शब्दों में कहा, “हमें इस फिल्म में कोई रुचि नहीं है। यह हमारे केस को न्याय नहीं दिलाएगी। निर्देशक इसे अपने फायदे के लिए बना रहे हैं।” उन्होंने आगे जोड़ा, “वे बार-बार फोन करके हमें परेशान कर रहे हैं। हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं।”
निर्देशक चटर्जी ने कहा, “अगर परिवार की अनुमति न मिली तो हम फिल्म अलग नाम से बना लेंगे।” उन्होंने दावा किया कि प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल ने उन्हें प्रोत्साहित किया। साथ ही, फिल्म का पश्चिम बंगाल में विरोध होने की आशंका जताते हुए इसे दिल्ली में शूट करने और 2026 बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले रिलीज करने की योजना है।
बीजेपी का कनेक्शन? चटर्जी ने पश्चिम बंगाल बीजेपी के कुछ नेताओं का समर्थन होने का दावा किया, खासकर विधायक अग्निमीत्र पाल का। पाल ने स्वीकार किया कि वे परिवार को मनाने की कोशिश कर रही हैं: “मैं शुरू से परिवार के साथ हूं। उनके वकील अभी सहमत नहीं हैं, लेकिन माता-पिता की सहमति जरूरी है।” हालांकि, बीजेपी ने फिल्म से जुड़ाव से इनकार किया है।
आरजी कर कांड का पृष्ठभूमि
9 अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव मिला था। चोटों की भयावहता ने पूरे देश को झकझोर दिया। वेस्ट बंगाल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। कोलकाता पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। संजय रॉय नामक सिविक वॉलंटियर को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई। पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और टीएमसी नेता अभिजीत मंडल समेत अन्य पर जांच में बाधा डालने का आरोप है।
यह घटना महिला सुरक्षा और चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उजागर कर रही है। प्रसार भारती का अंतिम फैसला अब सभी की नजरों में है।

