छठ महापर्व 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से हुई, जब भक्तों ने पवित्र स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण किया। कल 26 अक्टूबर को खरना का दिन था, जिसमें व्रतधारी महिलाओं ने ठेकुआ और गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया। आज 27 अक्टूबर को तीसरा दिन है, जो संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। कल 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ यह चार दिवसीय व्रत समाप्त होगा। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो सूर्य उपासना और प्रकृति के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
बिहार की राजधानी पटना के गंगा घाटों से लेकर पूर्णिया, भागलपुर, दरभंगा तक हर कोने में उत्साह का दौर चल रहा है। सुबह से ही घाट सजाए जा रहे हैं – रंग-बिरंगे तोरण, फूलों की मालाएं और दीपों की झिलमिलाहट से। व्रतधारी महिलाएं पीले-सफेद साड़ियों में सज-धजकर, ठेकुए की टोकरी लिए निकल पड़ी हैं। पुरुष और बच्चे भी भक्ति में डूबे ढोल बजाते, भजन गाते साथ चल रहे हैं। पटना के कंकड़बाग घाट पर एक व्रतधारी ने बताया, “छठी माईया की कृपा से परिवार सुखी रहे, यही कामना है। यह पर्व हमें एकजुटता और शुद्धता सिखाता है।”
सोशल मीडिया पर भी छठ की भक्ति लहर उफान पर है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी सोनिया विहार के छठ घाट पर पहुंचे, जहां उन्होंने भक्तों के साथ भजन गाए। विधायक सुरेंद्र मैथानी ने पक्का तालाब घाट पर शुभकामनाएं दीं, जबकि कई यूजर्स ने छठ को सामाजिक समानता का प्रतीक बताया। एक पोस्ट में लिखा गया, “जंगलराज के डर से आज मुक्ति मिली, एनडीए सरकार ने घाटों को रोशनी से जगमगाया।”
इस बार प्रशासन ने भी विशेष इंतजाम किए हैं – घाटों पर सुरक्षा, सफाई और बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। हालांकि, कुछ जगहों पर जलस्तर बढ़ने से सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। छठ पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है, क्योंकि इसमें कोई प्रदूषणकारी सामग्री का उपयोग नहीं होता।
जय छठी माईया! इस पावन पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हों, यही प्रार्थना।

