Winter Session: हर प्रदेशवासी को सुरक्षा की गारंटी दे रही जीरो टॉलरेंस नीति : मुख्यमंत्री
Winter Session: लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव को घेरते हुए कहा कि वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2022-23 में प्रदेश की कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है, जिसे हर व्यक्ति जानता है। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डाटा भी प्रस्तुत किया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीआरबी के डाटा के अनुसार वर्ष 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में डकैती में 80.31 प्रतिशत, लूट में 61.51 प्रतिशत, हत्या में 32.45 प्रतिशत, बलवा में 51.65 प्रतिशत, फिरौती में 43.18 प्रतिशत और दुष्कर्म के मामलों में 21.75 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2017 से पहले उप्र में क्या मंजर था, सभी जानते हैं। अपराधियों, माफिया और दंगाइयों को शासन का संरक्षण प्राप्त था। प्रदेश में चारों ओर अराजकता की स्थिति थी।
नेता सदन योगी ने कहा कि 2017 के बाद जीरो टोलरेंस नीति की सरकार ने प्रदेश में कानून का राज स्थापित करके सभी को सुरक्षा की गारंटी दी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि महिला संबंधित अपराधों में सजा दिलाने में यूपी देश में नंबर एक पर है। प्रदेश में 63 हजार से अधिक अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और 836 के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की गयी जबकि गैंगस्टर की 9,163 करोड़ की चल अचल संपत्ति जब्त की गयी। वहीं माफिया द्वारा 2827 करोड़ अर्जित अवैध संपत्ति को कब्जे में लिया गया है। 66 माफिया गैंग के 1044 सदस्यों के विरुद्ध 590 अभियोग पंजीकृत करते हुए 506 की गिरफ्तारी की गई। बाकी यूपी में हर कोई जानता है कि यहां अपराधियों और माफिया के खिलाफ कैसी कार्रवाई की जाती है। वर्श 2017 के बाद महिला सुरक्षा में प्रभावी ढंग से कार्य हुआ है। प्रत्येक जिले में महिला थाना के अतिरिक्त एक थाने में महिला थानाध्यक्ष को नियुक्ति दी गई है। महिला संबंधित अपराधों में 4579 अभियुक्तों में से 487 को आजीवन कारावास, 1016 को दस वर्श कारावास और 3076 को 10 साल से कम का कारावास की सजा हुई है। प्रदेश में समयबद्ध तरीके से कार्रवाई आगे बढ़ाने का परिणाम है कि पॉक्सो एक्ट के तहत 7276 अपराधियों को सजा हुई है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में तीन महिला पीएसी बटालियन की कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ाया गया है। प्रदेश में 69 महिला चौकी और परामर्श केंद्रों को थाने का दर्जा देने का कार्य हुआ है। प्रदेश में सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राइम की है। हर जनपद में प्रतिदिन दर्जनों मामले सामने आते हैं। वर्ष 2017 से पहले इसे लेकर सरकार के पास कोई विजन नहीं था। आज हर जनपद में एक-एक साइबर थाना बनाया गया है। प्रदेश के 1531 थानों में साइबर हेल्पडेस्क स्थापित किये गये हैं। साइबर क्राइम मुख्यालयों में एडवांस साइबर फॉरेंसिंक लैब, 18 रेंज में बेसिक साइबर फॉरेंसिक लैब और 57 जनपदों में साइबर क्राइम थानों का गठन किया गया है। पहली बार यूपी में फॉरेसिंक साइंस इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई। इसी के साथ वर्तमान सत्र में प्रवेश प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए बीएससी, एमएससी, बीटेक और एलएलएम के इंटीग्रेटेड कोर्स के संचालन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा चुका है।
यूपी पुलिस में पारदर्शी तरीके से हुई 1.64 लाख भर्तियां-
सपा सरकार में हुए भर्ती घोटाले पर घेरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शी तरीके से अकेले यूपी पुलिस में 1 लाख 64 हजार भर्ती हुई है। 2017 से पहले भर्ती में भी घोटाला हुआ करता था। चाचा, भतीजा और भाई सब संलिप्त होकर गरीब, पिछड़े, दलितों के हक पर डकैती डालने का काम करते थे। 2017 से पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से बाधित थी। वहीं हमारी सरकार ने 5381 नये पदों की मंजूरी दी गई। इसमें 86 राजपत्रित और 5295 अराजपत्रित पद हैं। इसके अलावा प्रदेश में 114 नये थाने, 163 नई चौकियां, 6 महिला थाना, 4 आर्थिक अपराध थाने और हर जनपद में साइबर थाने बनाये गये हैं। 40 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थानों की गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। साथ ही अन्य रिफॉर्म, जिसमें ट्रेनिंग और ट्रेनिंग की क्षमता बढ़ाने का कार्य हुआ है। पहले मात्र 6 हजार की क्षमता थी। आज इसे पांच गुना बढ़ाकर 30 हजार की क्षमता तक पहुंचाया गया है। पहले की सरकार की सोच संकीर्ण थी। आज उस संकीर्ण सोच से उभार कर यूपी को नये भारत के नये प्रदेश के रूप में स्थापित करने का कार्य हुआ है।
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