शरीर में ‘जहर’ फैलाता है,जीभ के रंग से पहचानें गंभीर बीमारी के लक्षण|
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शरीर में ‘जहर’ फैलाता है,जीभ के रंग से पहचानें गंभीर बीमारी के लक्षण|

Health Tips: जीभ पर जमी गंदगी किसी बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। जब शरीर में विषैले पदार्थ बढ़ जाते हैं तो जीभ का रंग बदलने लगता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि रोजाना जीभ की सफाई की जाए।जीभ के रंग से सेहत से जुड़े कई राज खुलते हैं। जीभ के रंग से आप पहचान सकते हैं कि आपके शरीर में कौन सा जहर फैला हुआ है। शरीर में जमा टॉक्सिन्स आपकी सेहत के दुश्मन हैं और आपके शरीर को अंदर से सड़ने का कारण बनते हैं। ये टॉक्सिन्स कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

जहर कैसे बनते हैं?

जब शरीर में खाना पचता है तो उसके साथ कुछ टॉक्सिन्स भी निकलते हैं। ये तत्व प्राय: अनुपयोगी तथा हानिकारक होते हैं। जो लिवर, किडनी जैसे अंगों से साफ हो जाते हैं। लेकिन कई बार ये जहरीले पदार्थ शरीर में जमा हो जाते हैं और बीमारियों का कारण बनते हैं।

जीभ के रंग से पहचानें खतरा
डाइटीशियन मनप्रीत के मुताबिक जीभ का रंग शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बता सकता है।

सफेद जीभ

कफ के असंतुलन से बलगम का संचय होता है

पीली-हरी जीभ

पित्त असंतुलन के लक्षण

काली जीभ

वात विकार

सफेद-पीली जीभ

खून में आयरन की कमी के लक्षण

विशेषज्ञ क्या कहते हैं  रोजाना करें ये काम, मिलेगी परेशानी से राहत
डाइटीशियन मनप्रीत के मुताबिक, जीभ का रंग फीका पड़ना शरीर में टॉक्सिक जमा होने का संकेत है। इस स्थिति से बचने के लिए रोजाना जीभ की सफाई जरूरी है। विशेषज्ञ जीभ को साफ करने के लिए कॉपर स्क्रैपर का उपयोग करने की सलाह देते हैं, क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
पाचन तंत्र के लाभ
जीभ पर जमा हुआ बलगम जीभ को खुरच कर निकाला जा सकता है। यह बलगम जीभ पर मौजूद रिसेप्टर्स को ब्लॉक कर देता है, जो पाचन में सुधार के लिए जरूरी हैं।
मुंह से दुर्गंध आती है
टंग स्क्रेपिंग मुंह में बैक्टीरिया से छुटकारा पाने में मदद करता है। ये हानिकारक बैक्टीरिया खराब मौखिक स्वच्छता, दांतों की सड़न और सांसों की बदबू का कारण बनते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
मुंह में बैक्टीरिया भी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। टंग स्क्रेपिंग इन विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
रोजाना जीभ की सफाई करने से अंग सक्रिय होते हैं और उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है। यह अच्छी आदत जीभ से मृत कोशिकाओं, विषाक्त पदार्थों को निकाल कर टेस्ट बड के कार्य को बढ़ाती है।

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी प्रकार का विकल्प नहीं हो सकता। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने विशेषज्ञ से सलाह लें।

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