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बयानबाजी से परहेज करें सुप्रीम कोर्ट के जज : अटॉर्नी जनरल

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जजों पर पलटवार करते हुए कहा है कि किसी एक समस्या के बहाने पूरी सरकार को नहीं कोसा जाना चाहिए।

नई दिल्ली। सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से कहा कि अक्सर जज किसी मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की निष्क्रियता पर टिप्पणी करते हैं, जबकि ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए। वेणुगोपाल ने अखबारों के हेडलाइंस दिखाते हुए कहा कि कोर्ट अक्सर किसी पहलू के एक पक्ष को देखते हुए ही ऑब्जर्वेशन सुनाता है जबकि मामले की सच्चाई कुछ और होती है। अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि हम दिन पर दिन आपके ऑब्जर्वेशन पढ़ रहे हैं लेकिन कोई एक जज सभी तरह की समस्याओं के सभी पहलू नहीं जान सकता। जस्टिस एस ए नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता भी इस खंडपीठ के सदस्य हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जब भी किसी विशेष मुद्दे पर कोई जनहित याचिका जज के सामने आती है, तो जज उस पर कोई ऑर्डर पास करते हैं लेकिन यह बात समझना चाहिए कि उन आदेशों का व्यापाक असर पड़ता है जिसके कई परिणाम हो सकते हैं। उससे किसी खास वर्ग के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। उनके लिए फिर सरकार को सोचना पड़ता है। वेणुगोपाल ने कहा कि जब कोर्ट ने 2जी लाइसेंस रद्द किया था तब विदेशी निवेश लगभग खत्म सा हो गया। इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्गों पर से शराब की दुकानें हटाने के आदेश से न केवल आर्थिक क्षति हुई बल्कि कई लोगों की आजीविका भा खत्म हो गई।
अटॉर्नी जनरल की बातों को सुनने के बाद जस्टिस लोकुर ने कहा, मिस्टर अटॉर्नी हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने हर चीज के लिये सरकार की आलोचना नहीं की है और न ही कर रहे हैं। हम भी इस देश के नागरिक हैं और उन समस्याओं के बारे में जानते हैं। हम केवल लोगों के अधिकारों की बात कर रहे हैं। हम लोगों के अधिकार से जुड़े अनुच्छेद 21 को यूं ही जाया होने नहीं दे सकते। जस्टिस लोकुर ने कहा आप अपने अधिकारियों को सिर्फ इतना कहें कि संसद ने जो कानून बनाया है उसका सही से अनुपालन हो। जस्टिस लोकुर ने कहा कि अदालत के आदेश पर ही इस देश में ऐसे कई कार्य हुए हैं जो जनता के हित से जुड़े रहे हैं।

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