पेशेवर लोग जुडे से पीएफआई से…. जाने कौन है ये लोग

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया। देश भर में छापेमारी के दौरानें मिले सबूतों के आधार पर ये फैसला लिया गया। इसके लिए तैयारी बीते एक साल से चल रही थी। इस दौरान जांच एजेंसियांे की टॉप लीडरशिप में शामिल 45 लोगों पर नजर रखे रहीं।

इनमें से ज्यादातर संगठन के फाउंडर सदस्य शामिल थे। इनमें वकील, प्रोफेसर और कारोबारी आदि हैं। संगठन का चेयरमैन ओएमए सलाम इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का सस्पेंड कर्मचारी है, वही उपाध्यक्ष ईएम अब्दुल रहमान बिजनेसमैन, पी कोया गवर्नमेंट कॉलेज में लेक्चरर और खालिद मोहम्मद वकील है।

 

 

22 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ 15 राज्यों में कार्रवाई शुरू किया। इस छापेमारी में सबसे पहले इन्हीं 45 लोगों को अरेस्ट किया गया। इनके जिम्मे नए सदस्य भर्ती करना, उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग देना, फंड जमा करना और सोशल मीडिया के जरिए च्थ्प् की विचारधारा को फैलाने का काम था।

बताया जा रहा है कि पीएफआई में शामिल ज्यादातर लोग पहले स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी से जुड़े थे। सरकार ने 2001 में सिमी को आतंकवादी संगठन घोषित कर बैन लगा दिया था। इस बार प्रतिबंध से पहले जांच एजेंसियों ने च्थ्प् के पदाधिकारियों और बड़े कार्यकर्ताओं पर शिकंजा कसा।

केंद्र का इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट इनके खिलाफ एक साल से सबूत जमा कर रहा था। इनमें ज्यादातर पदाधिकारी और कार्यकर्ता केरल, कर्नाटक समेत दक्षिण के राज्यों में सक्रिय थे।

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