ताजमहल के पास 114 साल से बन रही है ये इमारत
खर्च हो चुके हैं 400 करोड़ >> 114 साल से बन रही इस इमारत की नींव भी ताजमहल की तरह से कुओं पर रखी गई है. इसे बनाने में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।
न्यू आगरा से पोइया घाट जाने वाली रोड पर पडऩं वाले राधास्वामी मंदिर का मुख्य द्वार विशाल एवं भव्य बनाया गया है। मंदिर पूरा सफेद पत्थरों का बना हुआ है। मुख्य द्वार से मंदिर का दृश्य और सुंदर दिख सके इसके लिए प्रवेश द्वार को पूरा लाल पत्थरों से बनाया गया है. लाल पत्थरों के बीच से सफेद मंदिर का दृश्य देखने लायक होता है. मंदिर के प्रवेश द्वार के निर्माण में प्रयोग होने वाले लाल पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर जिले से मंगाया गया है। न्यू आगरा से पोइया घाट जाने वाली रोड पर पडऩे वाले राधास्वामी मंदिर का मुख्य द्वार विशाल एवं भव्य बनाया गया है. मंदिर पूरा सफेद पत्थरों का बना हुआ है. मुख्य द्वार से मंदिर का दृश्य और सुंदर दिख सके इसके लिए प्रवेश द्वार को पूरा लाल पत्थरों से बनाया गया है. लाल पत्थरों के बीच से सफेद मंदिर का दृश्य देखने लायक होता है. मंदिर के प्रवेश द्वार के निर्माण में प्रयोग होने वाले लाल पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर जिले से मंगाया गया है।
न्यू आगरा से पोइया घाट जाने वाली रोड पर पडऩे वाले राधास्वामी मंदिर का मुख्य द्वार विशाल एवं भव्य बनाया गया है. मंदिर पूरा सफेद पत्थरों का बना हुआ है। मुख्य द्वार से मंदिर का दृश्य और सुंदर दिख सके इसके लिए प्रवेश द्वार को पूरा लाल पत्थरों से बनाया गया है. लाल पत्थरों के बीच से सफेद मंदिर का दृश्य देखने लायक होता है। मंदिर के प्रवेश द्वार के निर्माण में प्रयोग होने वाले लाल पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर जिले से मंगाया गया है।
करोड़ों सत्संगियों की आस्था के प्रतीक राधास्वामी मंदिर में दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते है. भंडारे के समय यह संख्या और भी बढ़ जाती है. ऐसे में मुख्य द्वार को भव्य और विशाल बनाया गया है. पंचमुखी द्वार के ऊपरी पट पर गुंबद बनाए गए हैं. पूरा गेट लाल पत्थर से बनाया गया है. जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. गेट के चारों ओर रंग-बिरंगी लाइट लगाई गई है. करोड़ों सत्संगियों की आस्था के प्रतीक राधास्वामी मंदिर में दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते है. भंडारे के समय यह संख्या और भी बढ़ जाती है. ऐसे में मुख्य द्वार को भव्य और विशाल बनाया गया है.
पंचमुखी द्वार के ऊपरी पट पर गुंबद बनाए गए हैं. पूरा गेट लाल पत्थर से बनाया गया है. जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. गेट के चारों ओर रंग-बिरंगी लाइट लगाई गई है। करोड़ों सत्संगियों की आस्था के प्रतीक राधास्वामी मंदिर में दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते है. भंडारे के समय यह संख्या और भी बढ़ जाती है. ऐसे में मुख्य द्वार को भव्य और विशाल बनाया गया है. पंचमुखी द्वार के ऊपरी पट पर गुंबद बनाए गए हैं. पूरा गेट लाल पत्थर से बनाया गया है. जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. गेट के चारों ओर रंग-बिरंगी लाइट लगाई गई है।
आध्यात्म और सुदंरता की मिसाल रचने जा रहा राधास्वामी मंदिर का निर्माण कार्य पिछले 114 वर्षो से चल रहा है. इस वर्ष अगस्त में मंदिर का 99 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इस मौके पर राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरूष पूरन धनी स्वामी महाराज का 200वां जन्म समारोह भी आयोजित किया गया. स्वामी महाराज का जन्म अगस्त में पड़ता है तो इसी के चलते मंदिर निर्माण से जुड़ा सभी काम पूरा कर लिया गया. आध्यात्म और सुदंरता की मिसाल रचने जा रहा राधास्वामी मंदिर का निर्माण कार्य पिछले 114 वर्षो से चल रहा है. इस वर्ष अगस्त में मंदिर का 99 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इस मौके पर राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरूष पूरन धनी स्वामी महाराज का 200वां जन्म समारोह भी आयोजित किया गया. स्वामी महाराज का जन्म अगस्त में पड़ता है तो इसी के चलते मंदिर निर्माण से जुड़ा सभी काम पूरा कर लिया गया।
आध्यात्म और सुदंरता की मिसाल रचने जा रहा राधास्वामी मंदिर का निर्माण कार्य पिछले 114 वर्षो से चल रहा है. इस वर्ष अगस्त में मंदिर का 99 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इस मौके पर राधास्वामी मत के संस्थापक परम पुरूष पूरन धनी स्वामी महाराज का 200वां जन्म समारोह भी आयोजित किया गया. स्वामी महाराज का जन्म अगस्त में पड़ता है तो इसी के चलते मंदिर निर्माण से जुड़ा सभी काम पूरा कर लिया गया। 114 साल से बन रहे स्वामीबाग में स्थित राधास्वामी मंदिर की नक्काशी और खूबसूरती देखने लायक होगी. मंदिर में लगे पत्थरों को मजदूरों द्वारा हाथों से तराशा जा रहा है. खास बात यह है कि मंदिर को भव्य एवं आकर्षक बनाने के लिए पत्थरों का चयन बेहद ही ध्यानपूर्वक किया गया है. समाध में शीतलता, सौम्य एवं शांति का वातावरण बनाए रखने के लिए रंगों के चुनाव को भी महत्वता दी गई है. 5 तरह के पत्थरों का इस्तेमाल मंदिर को बनाने में किया गया है. 114 साल से बन रहे स्वामीबाग में स्थित राधास्वामी मंदिर की नक्काशी और खूबसूरती देखने लायक होगी. मंदिर में लगे पत्थरों को मजदूरों द्वारा हाथों से तराशा जा रहा है।