नोएडा। ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण में बिल्डरों को आवंटित की गई जमीन में भी बड़ी हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। एक के बाद एक नए-नए घोटाले उजागर हो रहे हैं। इसके बाद प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने बिल्डरों को आवंटित की गई जमीन की भी जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
इन बिल्डरों को किस आधार पर और किन-किन नियमों के तहत जमीन आवंटित की गई इस सब का अध्यन किया जा रहा है। इतना ही नहीं कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने प्राधिकरण अधिकारियों से लेकर सरकार के दमदार मंत्रियों तक से सांठगांठ की थी और बड़े-बड़े भूखंड की योजना अपने नियमों के हिसाब से निकलवाई और आवंटित कराने के बाद यह भूखंड दूसरों को 2 से 3 गुना दाम पर बेच दिए गए।
उल्लेखनीय है कि कैग सभी मामलों में जांच पड़ताल कर रहा है। भूमि आवंटन के मामले भी देखे जा रहे हैं। किन-किन लोगों को कितनी-कितनी जमीन आवंटित की गई। ज्यादातर जमीन बिल्डर कंपनी व शिक्षण संस्थानों को आवंटित हुई। कैट की जांच इस बात पर भी हो रही है कि इन सभी कंपनियों में कौन-कौन डायरेक्टर हैं।
बताया जा रहा है कि कुछ एक ऐसी कंपनियां भी हैं जिसमें चंद लोग ही डायरेक्टर हैं और वे ही कभी बिल्डर तो कभी शिक्षाविद बन जाते थे। बहरहाल, जांच पड़ताल भूमि आवंटन की ही नहीं बल्कि दो करोड रुपए से ऊपर के दिए गए निर्माण टेंडर की भी हो रही है। कहां पर कितना निर्माण हुआ इसका सत्यापन किया जा
रहा है।
दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं जिनमें चंद लोग ही डायरेक्टर हैं। कभी वे बिल्डर तो कभी शिक्षाविद् हैं।
कैग की जांच पड़ताल जारी है। एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं। जांच पूरी होने तक और कितने घोटाले उजागर होंगे सवाल बरकरार है।