नमाजी जाएं तो जाएं कहां
पिछले 15 सालों से मस्जिदों के भूखण्डों के लिए फुल एडवांस के रूप में प्राधिकरण में जमा है लेकिन एनओसी के नाम पर आवंटन की बजाय सीईओ, एसएसपी और डीएम में केवल चिट्ठीबाजी होती आ रही है।
नोएडा। सेक्टर-58 के पार्क में जुम्मे की नमाज को लेकर हो हल्ला हो रहा है। बड़े पैमाने पर राजनीति भी शुरू हो गई है। पुलिस अपनी कार्रवाई को सही ठहराने में जुटी है। लेकिन मूल समस्या में जानबूझ कर भी कोई जाने को तैयार नहीं है।
नोएडा में मुस्लिमों की तादाद 6 लाख के आसपास है। यहां प्राधिकरण ने केवल दो मस्जिदों के लिए आवंटन किए हैं। एक मस्जिद सेक्टर-8 में है और दूसरी सेक्टर-50 में। इसके अलावा कुछ गांवों में अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से लोगों ने छोटी-छोटी मस्जिदें बना रखी है। तादाद के हिसाब से नोएडा में मस्जिदों के लिए जगह आवंटित नहीं की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार पिछले 15 सालों से लगातार मस्जिद की भूखण्ड के लिए नोएडा प्राधिकरण से मांग की जा रही है। यहां तक की प्राधिकरण की मांग पर दो मस्जिदों के लिए पूर्ण अग्रिम भुगतान के रूप में लगभग 28 लाख रुपए संस्थागत विभाग में जमा कराए जा चुके हैं।
एक मस्जिद के लिए तो फाइल में 2012 की आवंटन हेतु स्वीकृति भी है किंतु आवंटन पत्र जारी नहीं किया गया है। डीएम और एसएसपी की एनओसी के नाम पर लगातार प्राधिकरण से चिट्ठी लिखी जा रही है। लेकिन डीएम और एसएसपी के दफ्तर से पलट कर कोई जवाब नहीं आता।
नतीजतन ये आवंटन लटके हुए हैं और उनके साथ के आवेदनों पर मस्जिद, गिरीजाघर, गुरूद्वारे, साईं मंदिर व अन्य धार्मिक स्थल बन भी चुके हैं।
गौरतलब है कि सभी शहरों में जिला प्रशासन की तरफ से ईदगाह और कब्रिस्तान के लिए स्थान उपलब्ध कराए जाते हैं लेकिन यहां ऐसा नहीं है। लगातार मांग उठती आ रही है मगर, न ही तो जिला प्रशासन ने और न ही प्राधिकरण ने इस ओर ध्यान दिया।
प्राधिकरण ने तो इससे और आगे बढ़ कर सेक्टर-37ए के कब्रिस्तान तक को बेच डाला। इसकी भी जांच की मांग लगातार होती रही है।
पुलिस-जिला प्रशासन और नोएडा प्राधिकरण की उदासीनता के चलते ही हजारों मुस्लिम पार्कों में नमाज पढऩे को मजबूर हैं। सालों से ये लोग जुम्मे की नमाज पढ़ते हैं और चले जाते हैं।
यहां यह बात भी गौरतलब है कि शहर के विभिन्न पार्कों पर मंदिर बनाकर कब्जे कर लिये गए हैं लेकिन इन मामलों में ना ही तो पुलिस और जिला प्रशासन ने और ना ही प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई की है।
सांप्रदायिक सौहार्द की लिहाज से नोएडा शहर काफी साफ-सुथरा माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां कुछ न कुछ मुद्दे उठाकर माहौल गरमाने की कोशिश की जा रही है।