Noida News । टैक्सी कार से रेकी करने के बाद सुनसान जगहों पर लगे मोबाइल टावरों से आरआरयू समेत अन्य कीमती उपकरण चुराने वाले गिरोह के छह बदमाशों को फेज दो थाने की पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी देश के अलग-अलग हिस्से से हैं और नोएडा में किराये का कमरा लेकर रहते हैं। गिरोह के सदस्यों ने बीते दिनों सेक्टर-113 थानाक्षेत्र में लगे मोबाइल टावर से कीमती उपकरण आरआरयू चुराया था।
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि मोबाइल टावर से आरआरयू चोरी होने की शिकायतें लगातार आ रही थीं। वारदात करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए एक टीम गठित की गई। मंगलवार को फेज दो थाने की पुलिस ने गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की निशानदेही पर चोरी के दो आरआरयू, वारदात में इस्तेमाल होने वाला औजार और चाकू बरामद हुआ है। चोरी के उपकरण को आरोपी जिस कार से ले जाते थे पुलिस ने उसे भी कब्जे में ले लिया है। आरोपियों की पहचान मुरादाबाद के डिलारी निवासी सानू, झारखंड के अंकित कुमार, राजस्थान के सीकर के राज मीणा, मैनपुरी के अयांश, मेरठ के नईम मलिक और सलारपुर के साहिल सैफी के रूप में हुई है। नईम मलिक बीए पास है। अन्य आरोपी नौंवी से 12वीं तक पढ़े हैं। सभी वर्तमान में सलारपुर में किराये का कमरा लेकर रह रहे हैं। आरोपियों की उम्र 19 से 24 साल के बीच है। आरोपियों ने कहां-कहां वारदात की है,इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। गिरोह के सदस्य जब चोरी के सामान को बेचने के लिए जा रहे थे तभी मुखबिर से मिली सूचना पर उन्हें फेज दो थानाक्षेत्र के डी ब्लॉक स्थित बिजली घर के पास से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्त में आए आरोपी शातिर किस्म के बदमाश हैं जो योजना बनाकर मोबाइल टावरों से उपकरण चुराते हैं। कार से दिन में टावर की रेकी की जाती है। रात में वारदात को अंजाम दिया जाता है। चोरी का विरोध करने पर लोगों को डराने के लिए आरोपी अपने पास चाकू और तमंचा रखते हैं।
आरोपी व्हाट्सऐप कॉल पर ही करते थे बात
थाना प्रभारी ने बताया कि गिरोह के सदस्य जिले में टैक्सी नंबर की गाड़ी से रेकी करते है और पकड़े जाने पर यात्री होने का बहाना बना लेते है, ताकि किसी को शक न हो। जिन मोबाइल टावरों पर सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती नहीं रहती है, आरोपी उसी को निशाना बनाते हैं। जिस टैक्सी से आरोपी चोरी के उपकरण लेकर जाते हैं उसे किराये पर लिया जाता है। पकड़े जाने के डर से आरोपी कुछ ही महीने में ठिकाना बदल देते हैं। गिरफ्तारी के डर से आरोपी व्हाट्सऐप कॉल पर ही बात करते हैं ताकि उनकी बातों को ट्रैक न किया जा सके। इसके अलावा आरोपी आपस में कोड वर्ड में बात करते हैं।
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