नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जारी है। इस बैठक में केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन इसके आसार नहीं दिख रहे। बोर्ड की बैठक में कुल 19 प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि सरकार और आरबीआई में टकराव की वजह से आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा भी दे सकते हैं।
एनबीएफसी के लिए अलग विंडो देने पर आरबीआई ने इनकार किया है। आरबीआई ने साफ कर दिया है कि एनबीएफसी को मदद देने का काम बैंक करे। इसके अलावा वह सरकार को सालाना डिविडेंड बढ़ाने पर राजी हो गई है। साथ ही वह बैंकों को ज्यादा नकदी मुहैया कराने के लिए भी तैयार है। कहा जा रहा है कि सरकार केंद्रीय बैंक के बोर्ड में अपने नामित सदस्यों के जरिये आरबीआई पर अपनी मांगों पर प्रस्ताव जारी करने का दबाव बना सकती है। हालांकि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के रुख को देखकर ऐसा लगता नहीं है। ऐसे में सरकार आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 का इस्तेमाल करते हुए आरबीआई को अपनी बात मनवाने के लिए मजबूर कर सकती है। ऐसी स्थिति में पटेल के पास दो ही विकल्प होंगे, या तो वह सरकार की मांगों पर सहमति जता दें या फिर इस्तीफा दे दें।
केंद्रीय बैंक के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले दिनों साफ शब्दों में सरकार को चेता दिया था कि अगर उसने संस्थान की स्वायत्तता को ठेस पहुंचाई, तो बाजार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इन मुद्दों पर खिंची तलवारें!
1. मुख्य ब्याज दर
2. लाभांश का भुगतान
3. लोन रीस्ट्रक्चरिंग मुद्दा
4. सरकारी बैंकों का रेग्युलेशन
5. प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन
6. पेमेंट्स रेग्युलेटर
7. आरबीआई बोर्ड में नियुक्तियां
8. तेल कंपनियों के लिए विशेष डॉलर विंडो
9. एनबीएफसी में नकदी किल्लत
10. आरबीआई के पास कैश रिजर्व
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार रिजर्व बैंक के भंडार को हथियाने के लिए उसके ऊपर कब्जा करने का इरादा बना चुकी है। चिदंबरम ने कहा, ‘दुनिया में कहीं भी केंद्रीय बैंक, उसके निदेशक मंडल द्वारा प्रबंधित कंपनी नहीं है. यह सुझाव देना कि निजी कंपनियों के लोग गवर्नर को निर्देश देंगे, हास्यास्पद हैÓ।