Guwahati/Zubin Garg News: असम के संगीत जगत के अमर सितारे जुबिन गर्ग की यादें आज थिएटर्स की स्क्रीन पर जीवंत हो उठीं। उनकी आखिरी फिल्म ‘रॉई रॉई बिनाले’ (अश्रुधारा अभी भी बह रही है) आज रिलीज हुई, जो उनकी मौत के ठीक 42 दिन बाद दुनिया को अलविदा कहने के बाद सामने आई। सुबह के 4:30 बजे से ही थिएटर्स के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग गईं, जहां फैंस न सिर्फ फिल्म देखने आए, बल्कि अपने चहेते कलाकार को आखिरी सलाम ठोकने। गुवाहाटी के प्रमुख मल्टीप्लेक्स जैसे पीवीआर सिटी सेंटर और आईनॉक्स इंसिग्निया में पहली शो के टिकट तो दो दिन पहले ही बिक चुके थे, और पूरे सप्ताह के शो हाउसफुल हो चुके हैं।
यह फिल्म जुबिन गर्ग का 19 साल पुराना सपना था, जिसे उन्होंने खुद लिखा, संगीत दिया, प्रोड्यूस किया और मुख्य भूमिका में एक नेत्रहीन संगीतकार की भूमिका निभाई। निर्देशक राजेश भउयान के अनुसार, फिल्म में 11 गाने हैं, जो जुबिन की मूल आवाज में हैं। फिल्म का ट्रेलर ही एक करोड़ से ज्यादा व्यूज बटोर चुका था, और अब रिलीज के दिन यह असम के सिनेमा इतिहास में मील का पत्थर साबित हो रही है। असम के 80 से ज्यादा थिएटर्स में रिलीज के साथ-साथ पूरे भारत के 40 से अधिक थिएटर्स में भी स्क्रीनिंग हो रही है—यह असमिया सिनेमा की अब तक की सबसे व्यापक रिलीज है। प्री-रिलीज बिजनेस ही 50 लाख रुपये से पार कर गया, जो क्षेत्रीय सिनेमा के लिए रिकॉर्ड है।
फैंस की भावुकता देखते ही बन रही थी। गुवाहाटी के मैट्रिक्स सिनेमा हॉल में जुबिन के लिए एक खाली सीट फूलों और उनकी फोटो से सजाकर आरक्षित की गई, मानो वे खुद वहां मौजूद हों। एक फैन ने कहा, “यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, जुबिन दा की विदाई है। हम आंसुओं में डूबे हुए हैं, लेकिन उनका संगीत हमें जीवित रखेगा।” एक बुजुर्ग दर्शक, जो बेटे की पीठ पर सवार होकर थिएटर पहुंचीं, ने बताया, “जुबिन की मौत को हम अभी भी स्वीकार नहीं कर पाए। यह फिल्म उनके सपने को पूरा करने का वादा है।” सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में फैंस उनके गानों पर थिरकते और तालियां बजाते नजर आ रहे हैं। एक फैन ने अपनी पीठ पर जुबिन का टैटू उकेरकर श्रद्धांजलि दी।
जुबिन गर्ग की मौत 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में एक यॉट पार्टी के दौरान समुद्र में नहाते हुए डूबने से हुई थी। 52 वर्षीय इस दिग्गज गायक-कलाकार की अचानक विदाई ने पूरे असम को शोक में डुबो दिया। सिंगापुर पुलिस ने डूबने की पुष्टि की, लेकिन असम सरकार ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर संदिग्ध परिस्थितियों की पड़ताल शुरू की। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जहर का कोई निशान नहीं मिला, लेकिन पांच आरोपी—जिनमें उनके बैंड मेंबर शेखरज्योति गोस्वामी और अमृतप्रवा महंता शामिल हैं—को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने सरकार पर जांच में देरी का आरोप लगाते हुए कहा, “30 दिन बीत चुके, फिर भी सच्चाई सामने नहीं आई।” जुबिन की पत्नी और को-प्रोड्यूसर गरिमा सैकिया गर्ग ने फिल्म रिलीज का फैसला लिया, जो जुबिन की इच्छा थी। उन्होंने जुबिन का एक हस्तलिखित नोट शेयर किया, जिसमें फैंस को फिल्म देखने का न्योता था।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने घोषणा की कि फिल्म से होने वाली जीएसटी की राज्य हिस्सेदारी को जुबिन द्वारा स्थापित कलागुरु आर्टिस्ट फाउंडेशन को सौंप दिया जाएगा। बॉलीवुड के सितारे आमिर खान ने ट्वीट किया, “एक सच्ची किंवदंती, उनकी आवाज लाखों को छू गई।” कंगना रनौत ने ‘या अली’ गाने का जिक्र करते हुए श्रद्धांजलि दी।
‘रॉई रॉई बिनाले’ में जुबिन का किरदार—एक नेत्रहीन संगीतकार जो समुद्र तट पर बेहोश पड़ा मिलता है—उनकी मौत से डरामाई रूप से जुड़ गया है। लेखिका रीता चौधरी, जिनसे जुबिन की आखिरी मुलाकात हुई थी, ने कहा, “वे उत्साहित थे, किसी दुख में नहीं।” फिल्म असम के पोस्ट-कॉन्फ्लिक्ट दौर में कलाकारों की जद्दोजहद, प्रेम और पहचान की कहानी बुनती है। डोल्बी एटमॉस में रिलीज होने वाली यह पहली असमिया फिल्म असम सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा कर रही है।
जुबिन गर्ग ने असमिया संगीत और सिनेमा को नई जिंदगी दी।
उनके 38,000 से ज्यादा गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं। आज थिएटर्स में गूंज रही उनकी आवाज साबित कर रही है—किंवदंतियां कभी मरती नहीं, वे अमर हो जाती हैं। असम आज सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव मना रहा है।

