Yamuna’s fierce form news: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ के संकट से जूझ रही है। गुरुवार सुबह 5 बजे पुराने रेलवे ब्रिज (ओल्ड रेलवे ब्रिज) पर यमुना का जलस्तर 207.47 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 205.33 मीटर से करीब 2.14 मीटर ऊपर है। यमुना का पानी अब दिल्ली सचिवालय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंच गया है, जहां मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय स्थित हैं। निचले इलाकों में पानी तेजी से भर रहा है, जिससे यमुना बाजार, मयूर विहार, गीता कॉलोनी, निगम बोध घाट, मजनू का टीला और सिविल लाइंस जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
यमुना के उफान का कारण
लगातार बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। गुरुवार सुबह तक हथिनीकुंड बैराज से 1,33,995 क्यूसेक, वजीराबाद बैराज से 1,93,090 क्यूसेक और ओखला बैराज से 2,44,478 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, जलस्तर में और वृद्धि की आशंका है, हालांकि सुबह 8 बजे जलस्तर में मामूली कमी देखी गई, जब यह 207.48 मीटर से घटकर 207.47 मीटर पर स्थिर रहा।
प्रभावित क्षेत्र और राहत कार्य
यमुना के बढ़ते जलस्तर ने दिल्ली के उत्तर, उत्तर-पूर्व, शाहदरा, पूर्वी, मध्य और दक्षिण-पूर्व जिलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। निगम बोध घाट, स्वामीनारायण मंदिर, कश्मीरी गेट बस टर्मिनल और रिंग रोड जैसे क्षेत्र जलमग्न हो चुके हैं। यमुना बाजार में करीब आठ फुट तक पानी भर गया है, जिसके कारण राहत शिविरों को भी खाली करना पड़ा। मयूर विहार फेज-1 और झरोड़ा कलां जैसे निचले इलाकों में घरों में पानी घुस गया है, जिससे लोग बेघर होकर सड़कों पर अस्थाई टेंटों में रहने को मजबूर हैं।
दिल्ली प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। राजस्व विभाग के अनुसार, अब तक 8,018 लोगों को टेंटों में और 2,030 लोगों को 13 पक्के शेल्टरों में स्थानांतरित किया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), पुलिस और दमकल विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। 45 नावों को बचाव कार्य के लिए तैनात किया गया है, और 25 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां जरूरतमंदों को भोजन और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
प्रशासन की तैयारियां और चुनौतियां
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आश्वासन दिया है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। बाढ़ प्रबंधन की जिम्मेदारी डिविजनल कमिश्नर नीरज सेमवाल को सौंपी गई है। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, PWD, जल बोर्ड, MCD और शहरी विकास विभाग 24×7 काम कर रहे हैं। नालों की सफाई और पंपिंग के जरिए अतिरिक्त पानी को यमुना में छोड़ा जा रहा है, ताकि कॉलोनियों में पानी का प्रवाह रोका जा सके।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यमुना के बाढ़ मैदानों पर अतिक्रमण और जल निकासी व्यवस्था की अव्यवस्था को इस संकट का प्रमुख कारण बताया है। 2023 में यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जो 45 साल का रिकॉर्ड था। इस बार जलस्तर 207.47 मीटर पर स्थिर होने के बावजूद, विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि बारिश और बैराज से पानी छोड़े जाने का सिलसिला जारी रहा, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
नोएडा और गाजियाबाद में भी खतरा
बाढ़ का खतरा केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। नोएडा के सेक्टर-167 और गाजियाबाद के कुछ क्षेत्रों में भी यमुना का पानी खेतों और बस्तियों में घुस गया है। हजारों बीघा फसलें डूब चुकी हैं, और किसान सड़कों पर झुग्गियां बनाकर रहने को मजबूर हैं। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में भी राहत कार्य तेज कर दिए हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली-NCR के लिए 5 और 6 सितंबर को मध्यम से भारी बारिश का अनुमान जताया है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है। पुराने रेलवे ब्रिज को बंद कर दिया गया है, और रेल यातायात को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया गया है।
निष्कर्ष
दिल्ली में यमुना का बढ़ता जलस्तर एक बार फिर प्रशासन और निवासियों के लिए चुनौती बन गया है। हालांकि सरकार ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन बारिश और बैराज से पानी छोड़े जाने की स्थिति ने संकट को और गहरा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक उपाय, जैसे यमुना के बाढ़ मैदानों से अतिक्रमण हटाना और जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना, अब अपरिहार्य हो गया है।

