प्रोजेक्ट की शुरुआत में YEIDA ने अगस्त-सितंबर के आसपास एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया था, जिसके तहत बसों के संचालन, ड्राइवर-कंडक्टर की नियुक्ति और रखरखाव की जिम्मेदारी किसी निजी ऑपरेटर को सौंपी जानी थी।
हालांकि, EOI पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने से ट्रायल रन शुरू नहीं हो सके। YEIDA के अधिकारियों के अनुसार, एक महीने के भीतर संचालन शुरू करने का लक्ष्य था, लेकिन नवंबर तक प्रक्रिया पूरी न हो पाने से अब नोएडा एयरपोर्ट से जुड़े रूट पर बसें उतरने की संभावना धूमिल हो गई है।
यह प्रोजेक्ट NTPC का लद्दाख के बाद दूसरा हाइड्रोजन आधारित पहल है, जहां दादरी स्थित NTPC पावर प्लांट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के पानी से इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन किया जाएगा। एक किलोग्राम हाइड्रोजन (लागत करीब 1200 रुपये) से बसें 600 किलोमीटर तक चल सकेंगी, जो डीजल बसों (4-5 किमी प्रति लीटर) से कहीं अधिक माइलेज प्रदान करेगी। YEIDA के एसीईओ नागेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, “यह पूरी तरह शून्य उत्सर्जन वाली बसें होंगी, जो दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। NTPC और ऑपरेटर पूरा खर्च वहन करेंगे, YEIDA को कोई वित्तीय बोझ नहीं।”
हालांकि, देरी की मुख्य वजह नियुक्ति नीति में स्पष्टता का अभाव है। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, YEIDA को ऑपरेटर चयन के लिए नई दिशानिर्देश जारी करने पड़ सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट जनवरी 2026 तक लुढ़क सकता है। उल्लेख किया है कि यह NCR का पहला हाइड्रोजन फ्यूल-सेल बस प्रोजेक्ट है, जो इलेक्ट्रिक बसों के साथ एकीकृत होकर यमुना क्षेत्र को ग्रीन मोबिलिटी हब बनाने का सपना देख रहा है।
NTPC की ओर से उत्पादन लागत घटाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि हाइड्रोजन वाहनों को बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सफल रहा, तो यह प्रोजेक्ट न केवल स्थानीय स्तर पर कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देगा। फिलहाल, YEIDA इलेक्ट्रिक बसों के विस्तार पर फोकस कर रही है, लेकिन हाइड्रोजन बसों की प्रतीक्षा जारी है।

