Yamuna Authority: जेपी इंफ्राटेक की प्रोजेक्ट में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के सुरक्षा समूह के समाधान योजना के हक में दिए गए फैसले के खिलाफ तीन अड़चनें सामने आ गई हैं। मामले में जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड, आयकर विभाग और यमुना प्राधिकरण ने समाधान योजना के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में याचिका दायर की है। इससे परियोजना से जुड़े करीब 20 हजार खरीदारों के घर पाने सपना अटकता नजर आ रहा है।
हालांकि अब तक इनकी याचिका स्वीकार नहीं की गई है। याचिका स्वीकार हो जाती है तो जब तक इन पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक सुरक्षा समूह के एक कदम भी आगे बढ़ने पर संशय बना रहेगा। सुरक्षा समूह ने समाधान योजना के मसौदे पर इस तरह के संकेत पहले भी दिए हैं। कोर्ट की ओर से सुरक्षा समूह की समाधान योजना पर हाल ही में मुहर लगाई गई है। इससे 20 हजार फ्लैट खरीदारों को फायदे की थी। फैसले के बाद कोर्ट के आदेश पर निगरानी समिति का भी गठन कर लिया गया। यह समिति निर्माण कार्यों पर नजर रखेगी और परियोजना पूरा करने पर सहयोग देगी। लेकिन अलग-अलग याचिकाओं की वजह से काम प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
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किसानों के बढे मुआवजे के मामले में यमुना प्राधिकरण भी एनसीएलएटी की राह ले चुका है। यह कहीं न कहीं इस परियोजना के पूरा होने में बाधक बनकर आएगा। एक ओर कंपनी और इसके फ्लैट खरीदारों को उबारने के लिए सुरक्षा समूह ने अपनी गतिविधि शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में 1689 करोड़ रुपये के मुआवजे का मामला फंसा हुआ है, जबकि सुरक्षा समूह ने केवल 10 लाख रुपये देने की बात समाधान योजना में बताई है।
इंनकम टैक्स भी आया सामने
सुरक्षा समूह के समाधान योजना के खिलाफ इंनकम टैक्स भी सामने आ गया है। इंनकम टैक्स की याचिका में कहा गया है कि पुरानी योजना में जो वित्तीय दावे किए गए थे। वह इस समाधान योजना में नदारद है। बताया जा रहा है कि 36 साल के लिए 33 हजार करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था। लेकिन अब समाधान योजना में केवल 10 लाख रुपये देने की पेशकश की गई है। हालांकि इस मामले में पहले से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। लेकिन यह मामला आगे जाकर और उलझने वाला है।