नेपाल में जेन-जेड प्रदर्शनों पर भारत और चीन की प्रतिक्रियाओं में क्यों दिखाई दे रहा इतना बड़ा फर्क

Kathmandu/New Delhi News: नेपाल में जेनरेशन-जेड (Gen Z) के नेतृत्व वाले बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों ने न केवल देश की राजनीति को हिला कर रख दिया है, बल्कि पड़ोसी देशों भारत और चीन की प्रतिक्रियाओं में भी गहरे अंतर को उजागर किया है। 8 सितंबर को शुरू हुए इन प्रदर्शनों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध, भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित होकर नेपाल को अस्थिरता की गिरफ्त में डाल दिया। कम से कम 51 लोगों की मौत और 1000 से अधिक घायलों के साथ यह नेपाल की आजादी के बाद की सबसे हिंसक अशांति बन चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की निंदा करते हुए तत्काल जांच की मांग की है, लेकिन भारत और चीन की प्रतिक्रियाएं उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाती रही हैं। जहां भारत ने मानवीय संवेदना और स्थिरता पर जोर दिया, वहीं चीन ने सतर्कता और कम्युनिस्ट सहयोगियों की एकजुटता बनाए रखने पर फोकस किया।

प्रदर्शनों का पृष्ठभूमि
प्रदर्शन 4 सितंबर को नेपाल सरकार के 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब—पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से भड़के। सरकार ने इन्हें पंजीकरण न करने और कंटेंट रेगुलेशन के नियमों का उल्लंघन मानते हुए ब्लॉक किया था। लेकिन युवाओं का गुस्सा इससे कहीं गहरा था। 13 से 28 साल के Gen Z युवा भ्रष्टाचार, नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफस्टाइल (जिन्हें ‘नेपो किड्स’ कहा जा रहा है) और आर्थिक असमानता से तंग आ चुके थे। काठमांडू में संसद भवन पर हमला, मंत्रियों के घरों में आगजनी और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के आवास पर तोड़फोड़ जैसे दृश्यों ने हिंसा को चरम पर पहुंचा दिया।

8 सितंबर को पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हुई, जो बाद में 51 तक पहुंच गई। ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया और देशव्यापी कर्फ्यू लगा। नेपाली आर्मी ने काठमांडू में गश्त शुरू की, जबकि Gen Z नेताओं ने अंतरिम सरकार के लिए पूर्व चीफ जस्टिस सुशिला कार्की का नाम प्रस्तावित किया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #NepalGenZProtest ट्रेंड कर रहा है, जहां युवा अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

भारत की त्वरित और संवेदनशील प्रतिक्रिया
भारत ने प्रदर्शनों की शुरुआत के एक दिन बाद, 9 सितंबर को ही अपनी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह “नेपाल की घटनाओं पर कड़ी नजर रख रहा है” और “मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “नेपाल में हुई हिंसा दिल दहला देने वाली है। कई युवाओं की जान गई, नेपाल की स्थिरता हमारे लिए जरूरी है। सभी से शांति की अपील करता हूं।” भारत ने संवाद के जरिए शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई।

इसके अलावा, भारत ने व्यावहारिक कदम उठाए। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई, और भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की। महाराष्ट्र ने भी यात्रा प्रतिबंध लगाया। एक भारतीय महिला राजेश गोल की काठमांडू में मौत की खबर ने चिंता बढ़ा दी। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि नेपाल की अस्थिरता भारत के लिए चिंता का विषय है, और सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए।
लेकिन नेपाल में भारत की छवि जटिल है। 2015 की सीमा नाकाबंदी के बाद #BackoffIndia जैसे हैशटैग अभी भी लोकप्रिय हैं।भारत की प्रतिक्रिया को कुछ ने हस्तक्षेप माना, लेकिन यह नेपाल के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक बंधनों को मजबूत करने का प्रयास है।

चीन की सतर्क और रणनीतिक चुप्पी
चीन की प्रतिक्रिया देर से आई—10 सितंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “चीन और नेपाल पारंपरिक दोस्त हैं। उम्मीद है कि नेपाल के विभिन्न वर्ग घरेलू मुद्दों को सही ढंग से संभालेंगे और जल्द स्थिरता बहाल होगी।” बयान अस्पष्ट था—कोई मानवीय हानि का जिक्र नहीं, न ही पक्षों का नाम। चीन ने अपने नागरिकों को सुरक्षा का सुझाव दिया, लेकिन दखल से परहेज किया।
यह सतर्कता चीन की रणनीति को दर्शाती रही है। 2008 से बीजिंग ने नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं (जैसे ओली और प्रचंड) के साथ गठजोड़ मजबूत किया है। 2020 में ओली-प्रचंड विवाद के दौरान चीन ने उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था। अब Gen Z प्रदर्शनों से कम्युनिस्ट एकता खतरे में है, इसलिए चीन जल्दबाजी से बच रहा। न्यूजवीक के अनुसार, चीन नेपाल में BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) प्रोजेक्ट्स के जरिए प्रभाव बढ़ाना चाहता है।

फर्क क्यों? रणनीतिक हितों का खेल
भारत की त्वरित प्रतिक्रिया उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और ‘रोटी-बेटी’ संबंधों से प्रेरित है, लेकिन 2015 की घटनाओं से नेपाल में संदेह बाकी है। चीन की चुप्पी उसके गैर-हस्तक्षेप सिद्धांत और कम्युनिस्ट सहयोगियो को बचाने की रणनीति को दिखाती है। Gen Z युवा इतिहास के बोझ से मुक्त हैं—वे चीन को शिक्षा, स्कॉलरशिप और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आकर्षक मानते हैं, जबकि भारत को पुरानी नाराजगियां याद हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अंतर भारत-चीन संबंधों को प्रभावित करेगा। द प्रिंट के अनुसार, चीन Gen Z से जुड़ने की कोशिश कर सकता है, जबकि भारत को अपनी छवि सुधारनी होगी। फिलहाल, नेपाल में कर्फ्यू जारी है, और अंतरिम सरकार का गठन से शांति बहाल होने की संभावना है।

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