आतंकियों के आगे सरकार झुकी थी, पकड़ा गया मुफ्ती के अपहरण का आरोपी

Central Bureau of Investigation News: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 1989 में हुए चर्चित अपहरण मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए फरार आरोपी शफात अहमद शंगलू को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी 35 साल बाद हुई है, जब शंगलू पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था।शंगलू को श्रीनगर से हिरासत में लिया गया और उसे जम्मू की TADA कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले में JKLF के पूर्व प्रमुख यासिन मलिक समेत कई आरोपी पहले से ही शामिल हैं।

घटना की पृष्ठभूमि
8 दिसंबर 1989 को, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की 23 वर्षीय बेटी रुबिया सईद का अपहरण जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चार आतंकवादियों ने कर लिया था।रुबिया उस समय श्रीनगर के लाल डेड मैटरनिटी अस्पताल में इंटर्नशिप कर रही थीं और मिनी बस से अपने नौगाम स्थित घर लौट रही थीं। अपहरणकर्ताओं ने बस पर हमला कर उन्हें अगवा कर लिया और अज्ञात स्थान पर ले गए। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, क्योंकि यह वीपी सिंह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी। अपहरण के समय मुफ्ती मोहम्मद सईद सिर्फ छह दिन पहले ही गृह मंत्री बने थे।

अपहरणकर्ताओं की मांग थी कि उनके पांच गिरफ्तार साथियों को रिहा किया जाए। इनमें अब्दुल हामिद शेख, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवाल, अल्ताफ अहमद भट और गुलाम नबी भट शामिल थे।पांच दिनों की तनावपूर्ण वार्ता, विरोध प्रदर्शनों और दबाव के बाद 13 दिसंबर 1989 को सरकार ने इन पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया, जिसके बदले रुबिया सईद को सुरक्षित छोड़ दिया गया।यह भारत सरकार द्वारा आतंकवादियों की रिहाई का पहला बड़ा मामला था, जिसे विशेषज्ञों ने कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव का टर्निंग पॉइंट माना।

जांच और कानूनी कार्रवाई
घटना के बाद सदर पुलिस स्टेशन में अपहरण, TADA एक्ट और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। CBI ने 1990 में जांच अपने हाथ में ली और 24 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।2021 में जम्मू की TADA कोर्ट ने यासिन मलिक समेत 10 आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए। दो आरोपी मौत हो चुकी थी, जबकि 12 फरार थे, जिनमें शंगलू भी शामिल था। शंगलू पर यासिन मलिक और अन्यों के साथ साजिश रचने का आरोप है।

यासिन मलिक वर्तमान में टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है। रुबिया सईद अब तमिलनाडु में रहती हैं और CBI की गवाह हैं।2023 में एक गवाह ने आरोपी मोहम्मद जमान की पहचान की थी, जिससे केस में नई गति आई।

गिरफ्तारी का महत्व
शंगलू की गिरफ्तारी को CBI की लंबी ट्रैकिंग का नतीजा माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह पुराने मामलों को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस घटना ने कश्मीर की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था पर गहरा असर डाला था, और अब 35 साल बाद न्याय की उम्मीद जगी है। मामले की सुनवाई जारी है, और अन्य फरार आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है।

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