ट्रंप, पुतिन और जेलेंस्की के बीच, त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन की तैयारी हुई तेज, रूस-यूक्रेन युद्ध पर शांति की उम्मीद

Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। इस प्रस्तावित बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ ट्रंप शामिल हो सकते हैं। यह शिखर सम्मेलन 22 अगस्त तक हो सकता है, बशर्ते आज (18 अगस्त) वॉशिंगटन में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच होने वाली बातचीत सफल रहे। इस बैठक में यूरोपीय नेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है, जो यूक्रेन की स्थिति को मजबूत करने और पूर्व की वार्ताओं में देखे गए तनावों को रोकने की कोशिश करेंगे।
हाल ही में 15 अगस्त को अलास्का के एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन सैन्य अड्डे पर ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे की मुलाकात हुई थी। इस बैठक को दोनों पक्षों ने “रचनात्मक” बताया, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार, इसमें युद्धविराम से संबंधित कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। ट्रंप ने इस मुलाकात को “बेहद फलदायी” करार देते हुए कहा कि वह जल्द ही जेलेंस्की और नाटो नेताओं से बात करेंगे ताकि शांति समझौते की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
जेलेंस्की की चेतावनी, यूक्रेन की संप्रभुता से समझौता नहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन अपनी संवैधानिक अखंडता और क्षेत्रीय संप्रभुता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “यूक्रेन के बिना लिया गया कोई भी शांति समझौता अवैध और अप्रभावी होगा।” जेलेंस्की ने यह भी जोड़ा कि रूस को युद्ध समाप्त करने की जिम्मेदारी लेनी होगी, क्योंकि उसने ही इसे शुरू किया था। वह इस त्रिपक्षीय बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हैं, लेकिन रूस की ओर से अभी तक ऐसी किसी वार्ता के लिए स्पष्ट सहमति नहीं मिली है।
शांति समझौते की संभावनाएं और चुनौतियां
ट्रंप प्रशासन ने एक संभावित शांति समझौते का प्रस्ताव रखा है, जिसमें यूक्रेन रूस को डोनबास क्षेत्र के कुछ हिस्सों को सौंप सकता है, जिसके बदले में शेष यूक्रेनी क्षेत्रों में युद्धविराम और यूरोप के लिए सुरक्षा गारंटी दी जा सकती है। हालांकि, जेलेंस्की ने साफ किया है कि यूक्रेन अपनी जमीन रूस को नहीं देगा। यूरोपीय सहयोगी देशों, जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड, ने भी जोर दिया है कि किसी भी शांति वार्ता में यूक्रेन की भागीदारी अनिवार्य है।
पुतिन ने अलास्का बैठक के दौरान कहा कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए संघर्ष की मूल वजहों को दूर करना जरूरी है। उन्होंने ट्रंप के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने की इच्छा जताई, लेकिन युद्धविराम पर कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं दिखाई। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने अलास्का को इस बैठक के लिए “तार्किक” स्थान बताया, क्योंकि यह कभी रूस का हिस्सा था और दोनों देशों को केवल बेरिंग जलडमरूमध्य ही अलग करता है।
आगे की राह
18 अगस्त को वॉशिंगटन में ट्रंप और जेलेंस्की की बैठक को इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जेलेंस्की ने टेलीग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह ट्रंप और यूरोपीय नेताओं के साथ “तेजी से और विश्वसनीय ढंग से” युद्ध समाप्त करने की दिशा में काम करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने भी संकेत दिया है कि अगर यह बैठक सफल रही, तो वह पुतिन के साथ एक और मुलाकात करेंगे, जिसमें जेलेंस्की भी शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के बावजूद रूस और यूक्रेन के बीच गहरे मतभेदों के कारण तत्काल शांति समझौता मुश्किल है। रूस ने पहले मांग की थी कि यूक्रेन चार क्षेत्रों से अपनी सेना हटाए और नाटो में शामिल होने से पीछे रहे, जबकि यूक्रेन इन शर्तों को अस्वीकार करता रहा है।
वैश्विक नजरें इस पहल पर
यह त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन, अगर हुआ, तो यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ट्रंप की मध्यस्थता रूस और यूक्रेन को बातचीत की मेज पर ला सकती है। भारत ने भी इस मुलाकात का स्वागत किया है, हालांकि ट्रंप द्वारा रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क ने कुछ तनाव पैदा किया है।
इस बीच, ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अगर वह 2022 में सत्ता में होते, तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता। अब देखना यह है कि क्या यह त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन यूक्रेन में शांति की राह खोल पाएगा, या यह एक और कूटनीतिक प्रयास बनकर रह जाएगा।

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