HAJJ: उच्च संवैधानिक पदों और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में लोगों के लिए उपलब्ध हज कोटे को खत्म करने के केंद्र के फैसले के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह एक संकेत है कि देश में वीआईपी संस्कृति खत्म हो रही है। कोटा खत्म होने से पहले, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और हज समिति को आवंटित सीटों के माध्यम से लगभग 500 लोग हज पर जा सकते थे। इंडिया टुडे से बात करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपना कोटा छोड़ना इस बात का संकेत है कि देश में वीआईपी कल्चर खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतीत में वीआईपी संस्कृति के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों के वाहनों पर लाल बत्ती पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है।
यह भी पढ़े: National Youth Festival: बोले पीएम, मैथ्स से लेकर साइंस में भारतीय युवा है अव्वल
HAJJ:स्मृति ईरानी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी हमेशा वीआईपी कल्चर के खिलाफ बोलते रहे हैं। वह खुद इसके खिलाफ ही रहते हैं। यहां तक कि श्लाल बत्तीश् या श्लाल बत्तीश् वाले वाहनों की सदियों पुरानी प्रथा को भी खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहले मंत्री से संबंध होने पर लोगों को हज के लिए सीट मिल जाती थी, लेकिन वह व्यवस्था खत्म कर दी गई है और अब सभी को जाने का समान अवसर मिलेगा। स्मृति ईरानी ने कहा, ष्आम मुस्लिम हज यात्रा के मामले में कोई भेदभाव नहीं चाहते हैं और अब सभी को समान अवसर मिलेगा।ईरानी ने कहा कि हमने हज कमेटी से वीआईपी कोटा की पूरी व्यवस्था को खत्म करने की भी अपील की है। राष्ट्रपति कोटे में 100, उपराष्ट्रपति कोटे में 75, पीएम कोटे में 75 और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री कोटे में 50 सीटें थीं। यहां तक कि हज कमेटी ऑफ इंडिया की 200 सीटों को भी खत्म कर दिया गया है। मामलूम हो कि हज के लिए जाने वाले कुछ लोग आम तरीके से जाते है जबकि कुछ लोगों को कोटे के तहत जाने की अनुमति मिल जाती है।