उस्ताद जाकिर हुसैन ने अमेरिका में ली अंतिम सांस

उस्ताद अल्ला रक्खा खां के बेटे और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का आज यानी सोमवार को अमेरिका में इंतकाल हो गया। उन्हें रविवार रात अमेरिका के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया था। उन्हें रक्तचाप यानी बीपी की समस्या थी। परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रॉस्पेक्ट पीआर के जॉन ब्लेचर ने इसकी पुष्टि की। मौसिकी की दुनिया में जिनके तबले की थाप एक अलग पहचान रखती है, वो उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। 73 साल की उम्र में उनका मृत्यु हुई है। उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रसिद्ध तबला वादक के परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी।

हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू कराया था भर्ती
जाकिर हुसैन के परिवार ने बयान में कहा कि जाकिर हुसैन का निधन फेफड़े से संबंधी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से हुईं जटिलताओं की वजह से हुई। वह 73 वर्ष के थे। हुसैन पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था।
प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को हुआ था। उन्हें उनकी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं।

तबले की तालीम उन्होंने पिता से ही ली थी। उस्ताद जाकिर हुसैन की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया। यानी तकरीबन 62 साल तक उनका और तबले का साथ नहीं छूटा। उन्होंने तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते। पद्म विभूषण से भी नवाजे गए। तबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में उनका अहम योगदान रहा।

परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा। हुसैन के निधन के बारे में जानकारी मिलते ही मशहूर हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। भारत के लिए ये बहुत बड़ी क्षति के रूप् में देखा जा रहा है।

 

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