US-नॉर्थ कोरिया के रिश्तों के 10 अहम पड़ाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच होने वाली ऐतिहासिक मुलाकात में अब सिर्फ कुछ ही घंटे सफर बाकी हैं. दोनों नेता बैठक के लिए सिंगापुर में मुजूद हैं. बताया जा रहा है कि इस बैठक में कोई बड़ा ऐलान होने कि सभावना है. पूरी दुनिया की नज़र अब इस बैठक पर हैं. नॉर्थ कोरिया और अमेरिका का इतिहास काफी पुराना रहा है, जो उतार-चढ़ाव से भरपूर था. पढ़ें दोनों देशों के संबंधों में ऐसी ही कुछ 10 महत्वपूर्ण घटनाएं है जौसे  (कोरियाई लड़ाई ) आप को बतादे कि 1950 में लड़ी गई कोरियाई जंग के दौरान दोनों देश आमने-सामने थे. इस लड़ाई में लाखों लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 36000 अमेरिकी सैनिक भी थे. जून 1950 में शुरू हुई इस लड़ाई में अमेरिका को भारी नुकसान हुआ था. ये जंग करीब तीन साल तक चली थी. उसके बाद से ही दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं अभी भी करीब 29 हजार सैनिक वहां मौजूद हैं

जनवरी 1968 में नॉर्थ ईस्ट कोस्ट के पास नॉर्थ कोरिया ने अमेरिकी बोट पर हमला कर दिया था. इसमें अमेरिका का एक जवान मारा गया था. और नाव में सवार 82 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें करीब 11 साल नॉर्थ कोरिया ने बंधक बना कर रखा था . इन सभी को नॉर्थ कोरिया में काफी प्रताड़ित किया गया, जिसके बाद यूएस की ओर से एक समझौताकर्ता ने कबूला था कि अमेरिकी बोट नॉर्थ कोरिया के इलाके में घुस गई थी.

कुल्हाड़ी से हत्या 1976 की गर्मियों में नॉर्थ कोरिया के कुछ सैनिकों ने दो अमेरिकी सैनिकों को कुल्हाड़ी से मार दिया था. असैन्य ज़ोन में एक पेड़ को काटने के कारण नॉर्थ कोरिया काफी नाराज हो गया था. दो सैनिकों की हत्या के बाद अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया पर करारा वार किया. अमेरिका की तरफ से B-52 बॉम्बर से हमला किया.  (फोटो- नॉर्थ कोरिया और यूएन के सैनिकों के बीच झड़प, 1976)

जब कार्टर पहुंचे नॉर्थ कोरिया जून 1994 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने नॉर्थ कोरिया का दौरा किया था. वह असैन्य ज़ोन से होते हुए ही नॉर्थ कोरिया गए थे, जहां पर उन्होंने किम संग से बात की थी. तब भी कोशिश  थी कि  नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियारों को खत्म किया जाए. उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति दक्षिण कोरिया वापस आए और दोनों देशों के बीच बातचीत की कोशिशें करवाईं. लेकिन 1994 में ही किम संग की मौत हो गई और उनके बेटे किम जोंग ने राजपाट संभाला. जिसके बाद 2000 में दोनों देशों के बीच समिट हुई. (फोटो- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम संग टू)

 

परमाणु निरस्त्रीकरण का फ्रेमवर्क अक्टूबर 1994 में भी काफी कोशिशों के बाद अमेरिका और नॉर्थ कोरिया ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया. जिसमें तय किया गया कि इसका इस्तेमाल अब दो हल्के वाटर न्यूक्लियर तैयार किया जाएगा और बिजली बनाई जाएगी. लेकिन विवाद के बाद 2002 में ये डील भी रद्द हो गई.

नॉर्थ कोरियाई वाइस मार्शल का अमेरिकी दौरा अक्टूबर, 2000 में किम जोंग फर्स्ट के वाइस मार्शल जो म्यांग रॉक ने अमेरिका का दौरा किया था. कोरियाई लड़ाई के बाद वह अमेरिका जाने वाले सबसे बड़े अधिकारी बने. इस दौरान उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात की थी. जिसके बाद दोनों कोरियाई देशों के बीच समिट हुई थी.

 एल्ब्राइट पहुंची नॉर्थ कोरिया  म्यांग रॉक के अमेरिकी दौरे के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एम. एल्ब्राइट भी नॉर्थ कोरिया पहुंचीं. यहां उन्होंने किम जोंग टू से मुलाकात की. लेकिन उस मुलाकात के बाद अमेरिका में जॉर्ज बुश ने सत्ता संभाली और उन्हें सख्त रुख अपनाया. (फोटो- किम जोंग टू और एम. एल्ब्राइट)

 

सिक्स नेशन टॉक नीति 2003 में अमेरिका ने एक बार फिर बातचीत को आगे बढ़ाया. इस बार 6 देशों की नीति को लाया गया. जिसमें अमेरिका, नॉर्थ कोरिया के अलावा साउथ कोरिया, चीन, रूस, जापान भी शामिल थे. ये बात 2008 तक चली लेकिन इस बीच नॉर्थ कोरिया ने अपने परमाणु परीक्षणों को जारी रखा, जिसकी वजह से बातचीत बंद हो गई. 2009 में आधिकारिक तौर पर नॉर्थ कोरिया इस बैठक से पीछे हट गया.

 किम जोंग उन ने संभाला मोर्चा  किम जोंग फर्स्ट की 2011 में मौत होने के बाद किम जोंग उन ने नॉर्थ कोरिया की सत्ता संभाली. जिसके बाद से ही उन्होंने लगातार कई परमाणु हथियारों को परीक्षण किया. उन की अगुवाई में नॉर्थ कोरिया काफी आक्रामक हुआ और लगातार कई परीक्षण किए. जिसके बाद अमेरिका ने कई बार उसे चेताया और किम जोंग उन नहीं मानें. किम और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच लगातार जुबानी जंग जारी रही. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर परमाणु हमला करने की धमकियां भी दी. (फोटो- किम जोंग उन अपने साथियों के साथ)

 

ऐतिहासिक सिंगापुर समिट करीब दो साल की जुबानी जंग के बाद डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन ने बातचीत करने का फैसला किया. इसके लिए 12 जून की तारीख तय की गई और सिंगापुर को चुना गया. हालांकि, बीच में किम के बदलते रुख को देखते हुए ट्रंप ने इस बैठक को कैंसिल भी कर दिया था. लेकिन फिर दोनों देशों की अधिकारियों की कोशिश के कारण ये बैठक दोबारा पटरी पर लौटी. उम्मीद है कि दोनों नेता इस बैठक में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं.

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