महाराष्ट्र में मीट बैन, ले आया सियासी तूफ़ान, बीजेपी की सहयोगी पार्टी ने दी चेतावनी, पढ़िए पूरी खबर

Uproar over meat ban in Maharashtra News: महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मीट की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर सियासी घमासान मच गया है। ठाणे जिले के कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) ने 15 अगस्त को सभी बूचड़खानों और मीट की दुकानों को 24 घंटे बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। इस फैसले का विपक्षी दलों और स्थानीय समुदायों ने कड़ा विरोध किया है, इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आजीविका पर हमला करार दिया है। वहीं, कुछ नेताओं ने इसका समर्थन भी किया है, जिससे विवाद और गहरा गया है।

KDMC का आदेश
कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका ने अपने आदेश में कहा है कि 14 अगस्त की मध्यरात्रि से 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक सभी स्लॉटरहाउस और मीट की दुकानें बंद रहेंगी। KDMC की उपायुक्त (लाइसेंस) कंचन गायकवाड़ ने दावा किया कि यह आदेश 1988 से हर साल लागू होता रहा है और इसका उद्देश्य राष्ट्रीय पर्व के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना है। हालांकि, इस बार यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक विवाद का केंद्र बन गया है। आदेश के उल्लंघन पर महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 के तहत कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

विपक्ष का तीखा विरोध
इस आदेश के खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने KDMC आयुक्त को निलंबित करने की मांग की और कहा, “स्वतंत्रता दिवस पर हम क्या खाएं, यह हमारा अधिकार है। हमारे घर में नवरात्रि में भी प्रसाद में झींगा और मछली होती है, यह हमारी परंपरा है।” उन्होंने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बताया।

एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने तो इस आदेश के विरोध में 15 अगस्त को डोंबिवली में ‘मटन पार्टी’ आयोजित करने का खुलेआम एलान कर दिया है। उन्होंने कहा, “जिस दिन हमें आजादी मिली, उसी दिन हमारी खाने की आजादी छीनी जा रही है। यह बहुत ज्यादा है।”

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए सवाल उठाया, “मीट खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने का क्या संबंध है? यह लोगों की आजादी, निजता और आजीविका पर हमला है।”

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस प्रतिबंध की आलोचना की। उन्होंने कहा, “आस्था से जुड़े अवसरों जैसे आषाढ़ी एकादशी या महावीर जयंती पर प्रतिबंध समझ में आता है, लेकिन राष्ट्रीय पर्वों पर यह उचित नहीं। महाराष्ट्र में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों समुदाय रहते हैं। कोकण और आदिवासी इलाकों में मांसाहार परंपरा का हिस्सा है।”

समर्थन में भी आवाजें
वहीं, शिवसेना के विधायक विश्वनाथ भोइर ने इस आदेश का समर्थन करते हुए कहा, “एक दिन मीट न खाने से क्या नुकसान? यह राष्ट्रीय पर्व का सम्मान करने का तरीका है।”

स्थानीय समुदायों का गुस्सा
हिंदू खटीक समाज और कुरैशी समुदाय ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह आदेश उनकी आजीविका को प्रभावित करता है और एक खास समुदाय को निशाना बनाता है। खटीक समाज ने चेतावनी दी है कि अगर आदेश वापस नहीं लिया गया, तो वे 15 अगस्त को KDMC दफ्तर के बाहर प्रतीकात्मक मीट की दुकान लगाकर विरोध करेंगे।
अन्य शहरों में भी विवाद
कल्याण-डोंबिवली के अलावा, नागपुर, मालेगांव, और छत्रपति संभाजीनगर जैसे शहरों में भी स्थानीय निकायों ने 15 अगस्त को मीट बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया है। इन फैसलों ने पूरे राज्य में बहस को और तेज हवा दे दी है।

सरकार की दुविधा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस विवाद को शांत करने की कोशिश में है, क्योंकि यह सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। खासकर, जब सरकार की सहयोगी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) ने भी इस प्रतिबंध के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

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