UP Top News: पलायन नहीं, परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है संन्यास : योगी

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UP Top News: लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सन्यास की व्याख्या करते हुये शनिवार को कहा कि सन्यास वास्तव में जिम्मेदारियों से पलायन नहीं बल्कि परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है और सन्यास की सार्थकता को सिद्ध करने के लिये वह आज भी 16 से 18 घंटे जनहित के कार्य करते हैं। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मेधावी छात्र सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये श्री योगी ने कहा “ संन्यास लेने पर शुरू-शुरू में लोग मुझे टोकते थे। आज मैं उन लोगों को देखता हूं तो पाता हूं कि कोई संतुष्ट नहीं है। भौतिक उपलब्धि व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं कर सकती। ये ठीक है कि मैं आज मुख्यमंत्री हूं। मगर मैंने संन्यास लिया, ये पलायन का नहीं परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है। आज भी 16-18 घंटे काम करता हूं, इसलिए नहीं कि कोई पद या प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, बल्कि इसलिए क्योंकि ये मेरा कतर्व्य है। मैं अपने संन्यास की सार्थकता को साबित कर सकूं।”

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उन्होने कहा “ भारत की ऋषि परंपरा ने संन्यास की जो व्यवस्था बनाई है वो व्यवस्था सही है, इसे साबित कर सकूं। आज मैं भगवान श्रीकृष्ण के सिद्धांतों पर चलते हुए सज्जनों के साथ खड़ा रहता हूं और दुष्टों के त्राण के लिए कदम भी उठाता हूं।” मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं की ओर से पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि संन्यास का फैसला लेना उनके और उनके माता-पिता के लिए चुनौती थी। कोई अभिभावक नहीं चाहता कि उसका बच्चा सन्यासी बन जाए। अभिभावक रिटर्न चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन में वह भी वही सोचते थे, जो आज के बच्चे सोचते हैं। वह चाहते थे कि एक अच्छा इंजीनियर बनें। बाद में अहसास हुआ कि कोई इंजीनियर या पद प्राप्त करने से अच्छा है कि पीड़ितों के साथ खड़ा रहूं। यही मेरे जीवन की सार्थकता है।

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उन्होंने कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। जितना परिश्रम करेंगे उसका परिणाम हमारे पक्ष में जरूर आएगा। किसी कार्य में अगर बाधाएं नहीं हैं तो मानकर चलिए कि आपकी दिशा ठीक नहीं है। जितने शुभचिंतक हैं उतने ही दुश्मन भी होने चाहिए। तब जो सफलता मिलती है उसका आनंद भी अलग होता है। हर छात्र छात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की किताब एग्जाम वारियर्स जरूर पढ़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए एक टीम की जरूरत होती है, जो बिना रुके, बिना झुके लगातार आगे बढ़े। यकीन है कि मेरी युवा पीढ़ी इसके लिए तैयार है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को राजनीति में अपना आदर्श बताते हुए कहा कि पॉलिटिक्स फुल टाइम जॉब नहीं है। राजनीति में अलग-अलग फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को आना चाहिए। इसमें अच्छे शिक्षाविद, अच्छे पत्रकार, अच्छे चिकित्सक, किसान सबको योगदान देना होगा। जब ऐसे लोग राजनीति में आएंगे तो स्वस्थ चर्चा-परिचर्चा आगे बढ़ेगी। केवल इसलिए कि हम राजनीति में आ जाएं और जाति, परिवार क्षेत्र के नाम पर विभाजन करके सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करें तो देश के साथ इससे बड़ी गद्दारी कुछ और नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा कि ये जानते हुए कि भारत की सबसे बड़ी कमजोरी यही जाति वैमनस्यता थी, क्योंकि क्या नहीं था भारत के पास। बल, वैभव, विद्या सबकुछ था यहां। दुनिया में तूती बोलती थी भारत की, लेकिन जाति वैमनस्यता ने इतनी गहरी खाई को चौड़ा किया कि चंद विदेशी आक्रांता आए और हमपर शासन करने लगे। सामाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करने का जो काम इतिहास में किया गया, आज वही काम ये जातिवादी और वंशवादी नेता कर रहे हैं। सीएम ने छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि वे अच्छे अधिवक्ता, इंजीनियर, डॉक्टर, अधिकारी बनें और आपकी वहां की अच्छाई की चमक आपको स्वत: राजनीति में आने के लिए प्रेरित कर सकती है। राजनीति खुद आपकी डिमांड करेगी। आपको उसके पीछे नहीं जाना होगा। राजनीति, पद प्रतिष्ठा हमारे पीछे आएगी, हमें इतना परिश्रम करना होगा।

योगी ने कहा कि जब आप कक्षा में मेरिट में स्थान प्राप्त करते हैं तो ये प्रत्यक्ष रूप से ये आपका परिश्रम है, मगर इसके पीछे, आपके विद्यालय के शिक्षकगण, कर्मचारीगण और परिजनों का भी परिश्रम शामिल है। हर प्रकार के सार्थक प्रयास जब सामूहिक रूप से आगे बढ़ते हैं तो हमें अच्छे परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें 2047 में पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप एक विकसित भारत बनाना है। यह तभी संभव होगा जब हम एक अच्छा नागरिक बनेंगे और सामूहिक प्रयास से आगे बढ़ेंगे। मेधावी छात्र-छात्राओं को हृदय से बधाई देते हुए कहा कि यहां छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है। बालिकाओं ने बोर्ड की परीक्षा में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है। ये बताता है कि बालिकाएं तनाव में कम रहती हैं और मेहनत ज्यादा करती हैं।

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