UP News: काशी के बाबा विश्वनाथ का प्रतिरूप हैं प्रयागराज के बाबा लोकनाथ

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UP News: सनातन संस्कृति और आस्था की प्राचीनतम् नगरी प्रयागराज बाबा लोकनाथ काशी के बाबा विश्वनाथ का प्रतिरूप हैं। लोकनाथ महादेव की प्राचीनता के बारे में सही तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण के रेवा खण्ड और महाभारत के शांतिपर्व में बाबा लोकनाथ का वर्णन आता है। प्रयागराज के मुख्य बाजार चौक के प्रसिद्ध मोहल्ले लोकनाथ का नाम यहां स्थापित बाबा लोकनाथ के नाम पर पड़ा है।

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चार पीढ़ियों से बाबा लोकनाथ का पूजन कर रहे पुजारी गौरी शंकर पाण्डेय ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि समस्त पुरियों और तीर्थों के राजा होने कारण इन्हें तीर्थराज प्रयागराज कहा जाता है। बाबा लोकनाथ स्वयं भू शिवलिंग हैं और इनका वर्णन स्कंद पुराण के रेवा खण्ड में “वामदेव महादेव देव-देव सुरेश्वरः, लोकनाथ पाहि-पाहि प्राणनाथ कृपाकरः।“ के रूप में मिलता है। इसके अतिरिक्त महाभारत के शांति पर्व में भी प्रयाग के बाबा लोकनाथ का वर्णन आया है। सावन माह, प्रदोष और शिवरात्रि के दिन लोकनाथ महादेव का विशेष रूप से पूजन होता है। केवल प्रयागराजवासी नहीं बल्कि दूर-दूर से संगम आने वाले श्रद्धालु लोकनाथ महादेव का दर्शन करने जरूर आते हैं।

श्री पाण्डे ने बताया कि प्रयाग की प्रसिद्ध हस्तियां मदन मोहन मालवीय, छुन्नन गुरु, पंड़ित श्रीधर पाठक नियमित रूप से मंदिर आते थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी और वी.पी. सिंह ने भी बाबा लोकनाथ का दर्शन और पूजन किया था। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन निकले वाली बाबा लोकनाथ की शिव बारात प्रयागराज की ऐतिहासिक शिव बारात है।

उन्होंने बताया कि नाथ संप्रदाय के मत्स्येंद्रनाथ ने प्रचीनकाल में यहां चतुर्मास पूरा किया था। इस मंदिर में भगवान लोकनाथ के साथ उनकी सवारी नंदी महाराज, भगवान गणेश एवं भवानी स्वरूप माता पार्वती और शेषनाग की प्राचीन प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय लोगों ने माता दुर्गा, हनुमान जी और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की है।

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लोकनाथ मंदिर की विशेषताएं 

  • यह मंदिर अपनी प्राचीन वास्तुकला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।
  • बाबा लोकनाथ को श्रद्धालु “प्रयागराज के विश्वनाथ” के रूप में पूजते हैं।
  • मंदिर में हर साल विशेष त्योहारों और शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

काशी और प्रयागराज का आध्यात्मिक संबंध

काशी और प्रयागराज दोनों ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भारत की आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाबा विश्वनाथ और बाबा लोकनाथ के बीच यह संबंध दोनों शहरों को आध्यात्मिक धरोहर में एक सूत्र में पिरोता है।

श्रद्धालु मानते हैं कि बाबा लोकनाथ के दर्शन से बाबा विश्वनाथ के समान ही पुण्य लाभ प्राप्त होता है। इस मान्यता ने प्रयागराज को एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में स्थापित किया है।

धर्म और आस्था का संगम

प्रयागराज में संगम तट के पास स्थित बाबा लोकनाथ मंदिर, भक्तों के लिए मोक्ष की प्राप्ति का द्वार माना जाता है। यह स्थल काशी के विश्वनाथ की महिमा को अपने स्वरूप में समाहित कर श्रद्धालुओं को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

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