Dispute between officers and public representatives in UP News in Hindi: उत्तर प्रदेश में मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के बीच तकरार और खींचतान की घटनाएं अक्सर सामने आती रही हैं। ये घटनाएं प्रशासनिक कामकाज, विकास परियोजनाओं और आम जनता के मुद्दों से संबंधित होती हैं। ऐसे में जनप्रतिनिध नाराज हो रहे है। क्योकि वे उपर अपनी बात रखते है तो अफसरों पर कोई खास कार्रवाई देखने को नही मिलती। जिससे यांगी सरकार के मंत्री और विधायक नाराज चल रहे है। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए सीएम योगी चुनाव से पहले सक्रिय हो गए है। मंडलवार वे सभी जनप्रतिनिधयों से मुलाकात कर रहे है।
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर जनप्रतिनिधयों और अफसरों के बीच तनावपूर्ण स्थिति क्यो बन जाती है। ऐसी घटनाओं के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे
1. अधिकार और नियंत्रण का संघर्षः जनप्रतिनिधि यानी मंत्री, विधायक और अधिकारी दोनों ही अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं। जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और चाहते हैं कि उनकी बात सुनी जाए, जबकि अधिकारी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करने पर जोर देते हैं। कई बार यह टकराव तब होता है जब मंत्री या विधायक किसी काम को नियमों से हटकर करवाना चाहते हैं और अधिकारी इसके लिए तैयार नहीं होते। हालांकि कभी कभी देखने को मिलता है कि जनप्रतिनिधयों के खुद के हित छुपे होते है।
2. मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोपः कई मंत्रियों और विधायकों ने अफसरों पर मनमानी करने और उनके आदेशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते और सरकार की नीतियों को सही ढंग से लागू नहीं करते। वहीं, अधिकारी अक्सर जनप्रतिनिधियों पर अनुचित दबाव डालने का आरोप लगाते हैं, खासकर ट्रांसफर-पोस्टिंग और ठेकों के मामलों में।
3. राजनीतिक और चुनावी दबावः लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के प्रदर्शन के बाद यह खींचतान और भी बढ़ गई है। कुछ नेताओं ने अधिकारियों पर विभीषण होने और पार्टी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। वे मानते हैं कि अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। इस कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुद इस मामले में दखल देना पड़ा और उन्होंने मंडलवार संवाद शुरू किया है ताकि दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके।
ऐसी घटनाएं जिस में जनप्रतिनिधयों ने लगाए आरोप
ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उनके खिलाफ सुपारी लेने और उनकी छवि को खराब करने कर रहे है। यह विवाद बिजली विभाग में कथित अनियमितताओं और निजीकरण के मुद्दे से जुड़ा था। वहीं औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। प्राधिकरण के अफसरों पर बात न सुनने तक के आरोप लगाए थे। जबकि विधायक नंद किशोर गुर्जर ने अधिकारियों पर मनमानी करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। राज्य मंत्री सुरेश राही सीतापुर में एक ट्रांसफार्मर की खराबी को लेकर उन्होंने बिजली विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी उनका फोन नहीं उठाते और उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं देते। मथुरा के विधायक श्रीकांत शर्मा नेे भी सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों की लापरवाही और निष्क्रियता पर सवाल उठाए थे। इन घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है कि उत्तर प्रदेश में जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों के बीच का तनाव एक गंभीर मुद्दा है। मुख्यमंत्री इस समस्या को हल करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि दोनों पक्षों के बीच समन्वय स्थापित हो पाता है या नहीं।

