Todi Nallah bridge collapses in Udhampur: जम्मू-कश्मीर के उद्धमपुर जिले में भारी बारिश के कहर ने एक बार फिर बुनियादी ढांचे को चरमरा दिया है। समरोली क्षेत्र के बंट गांव में तौड़ी नल्लाह पर बना महत्वपूर्ण पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया, जिससे करीब 50 हजार लोगों का दैनिक सफर बुरी तरह प्रभावित हो गया है। छात्रों को अब खतरनाक तरीके से तवी नदी पार करनी पड़ रही है, जबकि स्थानीय निवासी माल ढुलाई और अन्य जरूरी कार्यों के लिए नदी के सहारे ही निर्भर हैं। घटना 26 अगस्त को हुई भारी वर्षा के कारण हुई, जब बाढ़ ने पुल को बहा दिया।
इस पुल के ध्वस्त होने से समरोली, बंट और आसपास के गांवों के निवासी पूरी तरह कट गए हैं। डीडी न्यूज जम्मू की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र रोजाना कंधों पर नदी पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं, जहां तेज बहाव और संभावित बाढ़ का खतरा बना रहता है। छात्रा शोभा देवी ने अपनी व्यथा बयां करते हुए कहा, “हमें यहां से स्कूल जाना पड़ता है, लेकिन अब कोई रास्ता नहीं बचा क्योंकि पुल टूट गया है। सरकार से हमारी गुजारिश है कि जल्द से जल्द हमारे लिए पुल बनवाएं… ऐसी नदियां पार करना खतरनाक है। अगर तेज बारिश हो गई तो हम नदी में डूब भी सकते हैं।”
स्थानीय निवासी राकेश दिंग ने भी दर्द भरी गुजारिश की। उन्होंने बताया, “26 तारीख को हुई भारी बारिश ने हमारे सामने ही पुल को ढहा दिया, जिससे यात्रा के लिए कोई रास्ता नहीं बचा… छात्रों को भी स्कूल जाने में भारी परेशानी हो रही है… हमें नदी से ही अन्य सामान भी ले जाना पड़ता है… हम आपसे अपील करते हैं कि पुल का विकल्प जल्द प्रदान करें।” इन बयानों से क्षेत्रवासियों की निराशा साफ झलक रही है, जो बरसों पुरानी समस्या का सामना कर रहे हैं।
भारी बारिश से कई पुलों पर संकट
इस घटना से पहले भी उद्धमपुर और आसपास के जिलों में भारी वर्षा ने तबाही मचाई है। 27 अगस्त को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर थार्ड में एक महत्वपूर्ण पुल ध्वस्त हो गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। इसी तरह, 2 अगस्त को स्वेना और नरसू ब्लॉकों को जोड़ने वाले 1.58 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे फुटब्रिज की निर्माणाधीन अवस्था में ही ढह गई। अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीकी खराबी और निगरानी की कमी का नतीजा था। एक जांच समिति गठित की गई है, और दोषियों पर कार्रवाई की मांग उठी है।
24 अगस्त को कठुआ में एक प्रमुख पुल गिर गया, जबकि राजौरी और अन्य क्षेत्रों में भूस्खलन से सड़कें अवरुद्ध हो गईं। उद्धमपुर में 144.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो मानसून के दौरान सबसे अधिक थी। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में कमजोर मिट्टी और लगातार बारिश के कारण पुलों की संरचना कमजोर हो जाती है, लेकिन रखरखाव की कमी इसे और गंभीर बना रही है।
सेना की मदद से पुनर्निर्माण का आश्वासन
प्रशासन ने तत्काल कदम उठाने का वादा किया है। डीडी न्यूज की रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकारियों ने सेना की सहायता से पुल के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, उपराज्यपाल कार्यालय और स्थानीय विधायक को इसकी जानकारी दी गई है। नरसू के जिला विकास परिषद सदस्य सुभाष चंद्र ने जांच की मांग की है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की अपील की। हालांकि, स्थानीय लोग तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अस्थायी मार्ग भी बाढ़ में बह चुके हैं।
यह घटना जम्मू-कश्मीर के बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर करती है, जहां मानसून हर साल सैकड़ों पुलों और सड़कों को नुकसान पहुंचाता है। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर मजबूत डिजाइन और नियमित रखरखाव की सिफारिश की है। फिलहाल, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस राहत कार्यों में जुटी हैं, लेकिन क्षेत्रवासियों की चिंता बरकरार है।

