ट्रंप ने कहा, “हम टैरिफ से प्राप्त सैकड़ों अरब डॉलर का एक छोटा हिस्सा किसानों को आर्थिक सहायता के रूप में देंगे। हम अपने किसानों से बहुत प्यार करते हैं।” इस पैकेज में 11 अरब डॉलर की एकमुश्त भुगतान फसल किसानों को कृषि विभाग के नए ब्रिज पेमेंट प्रोग्राम के तहत दिए जाएंगे। शेष राशि अन्य फसलों को कवर करेगी। ट्रंप ने जोर देकर कहा कि यह सहायता किसानों को इस साल की फसल बाजार तक पहुंचाने और अगले साल की फसल की योजना बनाने में मदद करेगी, साथ ही अमेरिकी परिवारों के लिए खाद्य कीमतों को कम रखने में सहायक होगी।
व्यापार युद्ध का असर
यह घोषणा अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच आ रही है, जिसमें सोयाबीन किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इस साल की अधिकांश फसल मौसम में चीन ने अमेरिकी सोयाबीन की खरीद पूरी तरह रोक दी थी। यूएसडीए के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में चीन अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी बिक्री 12.64 अरब डॉलर की थी। अक्टूबर के अंत में ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उच्च स्तरीय बैठक में दोनों देशों ने व्यापार समझौते का ढांचा तैयार किया, जिसमें चीन ने इस साल के अंतिम दो महीनों में 1.2 करोड़ मीट्रिक टन और 2026-2028 में 2.5 करोड़ मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का वादा किया। हालांकि, अक्टूबर के अंत से अब तक चीन ने केवल 22 लाख मीट्रिक टन ही खरीदा है।
ट्रंप प्रशासन ने पहले भी 2018 और 2019 में अपनी आर्थिक नीतियों से प्रभावित किसानों के लिए कुल 28 अरब डॉलर का राहत पैकेज मंजूर किया था। लेकिन हाल ही में अर्जेंटीना को दिए गए 20 अरब डॉलर के बैलआउट ने अमेरिकी किसानों में आक्रोश पैदा किया। चीन ने जब अमेरिकी सोयाबीन की खरीद रोकी, तो उसने अर्जेंटीना से सोयाबीन आयात बढ़ा लिया। आयोवा के रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रासली ने सितंबर में सोशल मीडिया पर लिखा था, “किसान अर्जेंटीना को बैलआउट देने के बाद भी निराश हैं, क्योंकि चीन अभी भी अमेरिकी सोयाबीन नहीं खरीद रहा।”
भारतीय चावल पर निशाना
राहत पैकेज की घोषणा के दौरान ही ट्रंप ने विदेशी कृषि आयात पर सख्त रुख अपनाते हुए भारतीय चावल पर नए टैरिफ लगाने का इशारा दिया। उन्होंने कहा, “वे डंपिंग नहीं कर सकते। मैंने यह कई लोगों से सुना है।” अमेरिकी किसान, खासकर चावल उत्पादक, शिकायत कर रहे हैं कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड से सस्ते आयात के कारण चावल की कीमतें गिर रही हैं, जो घरेलू फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है।
ट्रंप ने कनाडा से आने वाले उर्वरक पर भी संभावित “कड़े टैरिफ” का जिक्र किया, ताकि अमेरिकी उत्पादन को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा, “कनाडा से बहुत सारा उर्वरक आता है, इसलिए अगर जरूरी हुआ तो हम बहुत सख्त टैरिफ लगाएंगे। हम खुद यह यहां कर सकते हैं।” यह बयान मुद्रास्फीति और उपभोक्ता कीमतों की चिंताओं के बीच आया है, जहां किसान ट्रंप के प्रमुख समर्थक वर्ग का हिस्सा हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार
इससे पहले इस साल ट्रंप ने व्यापार बाधाओं और ऊर्जा खरीद को लेकर भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए थे। इस सप्ताह अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत का दौरा करेगा, लेकिन प्रमुख सफलता की उम्मीद नहीं है। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के साथ चल रही व्यापार चर्चाएं बिना बड़ी प्रगति के रुकी हुई हैं।
व्हाइट हाउस में आयोजित इस राउंडटेबल में ट्रंप के साथ ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट और एग्रीकल्चर सेक्रेटरी ब्रूक रोलिंस भी मौजूद थे। किसानों ने ट्रंप की नीतियों का स्वागत किया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय में व्यापार संतुलन बहाल करना चुनौतीपूर्ण होगा।
यह पैकेज ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा है, जो विदेशी आयात को सीमित कर घरेलू उद्योगों को मजबूत करने पर केंद्रित है। हालांकि, आलोचक इसे अस्थायी समाधान मानते हैं, जो वैश्विक व्यापार तनाव को और बढ़ा सकता है।

