विश्वभर में प्रचलित ये प्रथाएं करती है लड़कियों के प्राइवेट पार्ट पर हमला, अफ्रीका मे मां करती है बेटी की ब्रेस्ट प्रेस
यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड यूएनएफपीए की एक रिपोर्ट में बताया है कि आज भी दुनिया में लड़कियों और महिलाओं को कुछ कुठित परंपराओं के चलते मारा जा रहा है। कई बार लड़कियां जिंदगी भर के लिए अपंग भी हो जाती हैं। आइए जानते है दुनिया में कहा क्या क्या हो रहा है। बताते है कि सदियों से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के देशों में 19 से ज्यादा ऐसी परंपराओं को अंजाम दिया जा रहा है। सैकड़ों वर्षों से निभाई जा रही ये ऐसी रीतियों अपनाई जा रही हैं जो मानवाधिकार का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं। इनमें ‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ से लेकर, वर्जिनिटी टेस्ट, चाइल्ड मैरिज से लेकर दहेज प्रथा और बेटे की चाह में बेटियों की भ्रूणहत्या या हत्या तक शामिल हैं।
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अफ्रीकी देशों में ऐसे होती है बेटियों की ‘ब्रेस्ट आयरनिंग’
‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ परंपरा अफ्रीकी देश कैमरून में प्रचलित है। इस परंपरा में किशोरावस्था के शुरू होते ही लड़कियों के ब्रेस्ट को लकड़ी के टुकड़ों से दागा जाता है, ताकि वे बढ़ न सकें। ‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ की इस प्रथा को लड़की की मां ही अंजाम देती है। मान्यता यह है कि गर्म चीजों से ब्रेस्ट दागने से लड़कियों की छाती चपटी हो जाती है और उन पर पुरुषों का बहुत ध्यान नहीं जाता। ऐसे ऐसे किस्से है कि सुनने लेगे तो हैरान हो जाएंगे। कैमरून की महिलाओं प्रचलित है कि अगर लड़कियों में जवानी के लक्षण जल्द दिखाई देने लगें तो पुरुषों का ध्यान उन पर जाता है और ऐसे में लड़कियों के शादी से पहले ही गर्भवती होने का डर बना रहता है। इसलिए ही आयरन प्रेस से ब्रेस्ट प्रेस होती हे।
इन देशों में दूल्हे की आंटी लेती दुल्हन का वर्जिनिटी टेस्ट
वहीं, अफ्रीकी देश यानी युगांडा और इथियोपिया सहित कई देशों के कुछ समुदायों में वर्जिनिटी टेस्ट प्रचलित है। दूल्हे का वर्जिनिटी टेस्ट दुल्हन की आंटी लेती है। इस टेस्ट में पास होने के बाद ही शादी को मंजूरी मिलती है। युगांडा में एक और रस्म निभाई जाती है जिसे इमरजेंसी सिचुएशन कहा जाता है। इसमें दूल्हे और उसके परिजन गाजे बाजे के साथ होने वाली दुल्हन के घर अचानक पहुंचते हैं। इस रस्म से यह पता लगाने की कोशिश होती है कि ससुराल वाले इमरजेंसी सिचुएशन में किस तरह रिएक्ट करेंगे। इसमें सास-ससुर पहली दफा होने वाली बहू को भी देखते हैं।
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वहीं, नामीबिया में होने वाले होने वाली दुल्हन के घर लड़के के पिता बटर लेकर पहुंचते हैं। वो बताते हैं कि पत्नी के तौर पर उसकी क्या भूमिका होगी। साथ ही उसके शरीर पर बटर लगाया जाता है और बताया जाता है कि वो भी परिवार का हिस्सा है। हालांकि, इन परंपराओं के दौरान कई बार महिला हिंसा की स्थितियां भी पैदा होती हैं। उधर, ब्रिटेन में ऐसे तमाम क्लिनिक हैं जो कि वर्जिनिटी टेस्ट का ऐड देते हैं और इस टेस्ट के 15 हजार से 30 हजार रुपए तक चार्ज करते हैं। इंग्लैंड की ‘नेशनल हेल्थ सर्विस’ के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में 69 हायमन रिपेयर सर्जरी हुई हैं जो कि वर्जिनिटी बरकरार रखने के लिए कराई जाती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक लगभग 20 देशों में वर्जिनिटी टेस्ट होते हैं। हालांकि डॉक्टर खुद कहते हैं कि किसी भी तकनीक से वर्जिनिटी साबित नहीं की जा सकती। यूएनएफपीए के मुताबिक, दुनिया भर के देशों में करीब 65 करोड़ महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जिनकी शादी बचपन में ही हो गई थीं। इसके अलावा 20 करोड़ लड़कियां और महिलाएं ऐसी हैं जिनके प्राइवेट पार्ट को खतना के जरिए नुकसान पहुंचाया गया। यह प्रथा महिलाओं की यौन इच्छा दबाने के नाम पर चली आ रही है। इसकी प्रैक्टिस इसलिए मौजूद हैं क्योंकि भारत-चीन जैसे कई देशों में पितृसत्ता और सामाजिक रीतियों का स्थान अब भी पहले जैसा ही बना हुआ है। इन परंपराओं से लड़कियों और महिलाओं पर क्या असर पड़ता है, इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। ये परंपराएं महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा से जुड़ी हैं।
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वल्र्ड में हर वर्ष 1.2 करोड़ लड़कियों का बाल विवाह
पिछले साल जारी हुई यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 41 देशों में हर साल करीब 1.2 करोड़ बच्चियों का बाल विवाह होता है। दरअसल जिन लड़कियों की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है। वे सब चाइल्ड मैरिज के तहत गिनी जाती हैं। यूनाइटेड नेशन्स के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल के तहत अगले सात साल यानी 2030 तक बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन अब भी इसके मामले सामने आते रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, मानव तस्करी की शिकार महिलाओं और लड़कियों में से 30 प्रतिशत का जबरन विवाह कर दिया जाता है। इसके अलावा यूएनएचसीआर ने बाल विवाह को फोर्सड मैरिज की कैटेगरी में शामिल किया है बशर्ते दोनों पक्ष में से किसी एक की रजामंदी न हो।
अफ्रीका, दक्षिण एशिया के साथ-साथ पूर्व सोवियत गणराज्यों के गरीब राज्यों में जबरन और कम उम्र में विवाह सबसे आम है। हालांकि, अधिक समृद्ध उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में अभी भी जबरन और कम उम्र में शादी के मामले सामने आते हैं। जबरन विवाह को गुलामी का एक रूप माना जाता है।
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पाकिस्तान में होती सबसे ज्यादा दहेज हत्याएं
बताया जाता है कि दुनिया में दहेज व्यवस्था पर स्टडी कर बताया कि यूरोप, एशिया, अफ्रीका और कई अन्य देशों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास रहा है। जापान, भारत से लेकर आयरलैंड तक में दहेज प्रथा के सबूत मिलते हैं। भारत में इसे दहेज, हुंडा या वर-दक्षिणा जैसे कई नामों से जाना जाता है। भारत पाकिस्तान सहित पूरे दक्षिण एशिया में दुल्हन का परिवार पैसा या गिफ्ट के रूप में दूल्हे को दहेज देता है। 2014 में एशियन ह्यूमन राइट कमिशन की गई एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में 1 लाख महिलाओं पर सबसे ज्यादा दहेज हत्याएं (औसतन 2.45) पाकिस्तान में होती हैं। इसके बाद भारत, बांग्लादेश और ईरान का स्थान आता है।
वही अप्रैल 2023 में जारी एक यूएनएफपीए की रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 55 फीसदी महिलाएं ही अपने शरीर पर पूरा हक रखती हैं। बाकी महिलाओं के लिए रिपोर्ट कहती है, ‘उनके शरीर उनके नहीं हैं।’ इन महिलाओं के साथ मार-पीट और मैरिटल रेप जैसी घटनाएं होती हैं। रिपोर्ट में जिक्र किया गया कि एक साल के दौरान 18% महिलाएं अपने साथी से हिंसा की शिकार हुईं।
विधवाओं को सम्मान नही
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया में 25.8 करोड़ विधवाएं रहती हैं। इनमें से 10 फीसदी ऐसी विधवाएं हैं, जो बेहद गरीबी में जीवन जी रही हैं। युद्ध, विस्थापन, महामारी की मार सबसे ज्यादा विधवाओं पर ही पड़ती है।