सुप्रीम कोर्ट में 2020 दिल्ली दंगों के यूएपीए मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम समेत चारों की जमानत याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम) के बड़े साजिश मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच इस मामले को सुनेगी, जो चार साल से अधिक समय से जेल में बंद इन कार्यकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। दंगों में 53 लोगों की मौत और 700 से अधिक घायल होने की घटना के बाद ये सभी आरोपी ‘मास्टरमाइंड’ के रूप में नामित हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितंबर 2025 को इन चारों समेत नौ लोगों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि प्रदर्शनों के बहाने ‘षड्यंत्रपूर्ण’ हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने वाले इन कार्यकर्ताओं की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2025 को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। सुनवाई दीवाली की छुट्टियों के बाद आज निर्धारित की गई है।

मामले का पृष्ठभूमि
2020 फरवरी में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, चांद बाग और अन्य इलाकों में हुए दंगों को दिल्ली पुलिस ने एक ‘बड़े साजिश’ का हिस्सा बताया है। यूएपीए के तहत दर्ज एफआईआर में उमर खालिद (पूर्व जेएनयू छात्र), शरजील इमाम (जेएनयू छात्र), गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दंगों की साजिश रची। ये सभी सितंबर 2020 से जेल में हैं और उनकी कई जमानत याचिकाएं निचली अदालतों में खारिज हो चुकी हैं।

हाल ही में, 17 अक्टूबर 2025 को कर्करदोमा कोर्ट में आरोप तय करने की सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने दावा किया कि उनके खिलाफ कोई ‘भौतिक साक्ष्य’ नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस का चार्जशीट पूरी तरह घटना के महीनों बाद दर्ज गवाहों के बयानों पर आधारित है। इसी तरह, 9 अक्टूबर को उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने ‘चुनिंदा कार्रवाई’ की और बड़े साजिशकर्ताओं को छोड़ दिया।

याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क है कि यूएपीए के सख्त प्रावधानों के बावजूद, लंबी हिरासत (चार साल से अधिक) और मुकदमे की धीमी गति को देखते हुए जमानत दी जानी चाहिए। दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये आरोपी दंगों के पीछे की साजिश से जुड़े हैं और जमानत पर रिहा होने से जांच प्रभावित हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय चिंता
इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। 12 सितंबर 2025 को इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जूरिस्ट्स (आईसीजे) समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने संयुक्त बयान जारी कर उमर खालिद की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की। संगठनों ने इसे ‘मानवाधिकार रक्षक और छात्र कार्यकर्ता’ के उत्पीड़न का मामला बताया।

आज की सुनवाई का महत्व
यह सुनवाई न केवल इन चारों के लिए बल्कि यूएपीए जैसे सख्त कानूनों के तहत जमानत के मानदंडों पर भी रोशनी डालेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अन्य समान मामलों में नजीर बनेगा। वर्तमान में सुनवाई चल रही है, और लाइव अपडेट्स के लिए जय हिन्द जनाब जैसे मीडिया आउटलेट्स पर नजर रखी जा रही है। यदि कोई बड़ा फैसला आता है, तो यह देशव्यापी बहस को नई दिशा दे सकता है।

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