‘पुरानी पेंशन जब तक नहीं होगी बहाल जारी रहेगा संघर्ष’
अटेवा ने एचएचकेएम इंटर कॉलेज माधोपुरा गौशाला फाटक में मासिक बैठक कर बनाई रणनीति
Ghaziabad news नए पेंशन स्कीम को बंद करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पुरानी पेंशन बहाल की लड़ाई को और अधिक मजबूत बनाने के लिए बैठकों का दौर लगातार जारी है। एचएचकेएम इंटर कॉलेज माधोपुरा गौशाला फाटक में सोमवार को अटेवा की मासिक जनपदीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राजकुमार सिंह ने की, बैठक का संचालन मनीष कुमार शर्मा जिलाध्यक्ष ने किया। अटेवा के संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए जनपदीय टीम के पदाधिकारियों ने अपने अपने विचार रखें। जिला महामंत्री राम शेष वर्मा ने जुलाई माह के प्रथम या दूसरे सप्ताह में एक मंडलीय बैठक का आयोजन किए जाने का सुझाव दिया। जिसमें जनपद और ब्लॉक के समस्त पदाधिकारियों की उपस्थिति के साथ-साथ जनपद के सक्रिय सदस्यों को बुलाया जाए और आंदोलन की सक्रियता को बनाए रखा जाए।
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बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को एक मत से सुझाव को मंजूरी दी।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसपी सिंह ने निष्क्रिय सदस्यों के स्थान पर सक्रिय पदाधिकारियों की नियुक्ति का सुझाव दिया।
महानगर अध्यक्ष अमित त्यागी ने कहा कि प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर आंदोलन चलाया जाए। जिसमें प्रत्येक प्रदेश और देश का कर्मचारी पत्र लिखकर पीएम को ओपीएस की बहाली के लिए निवेदन करें। जिला सलाहकार संतोष पाल ने मंडलीय बैठक के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। प्रवक्ता निर्मल ने नई भर्ती में शिक्षकों की ओपीएस की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए सुझाव दिया कि नौकरी में नए कर्मचारियों को स्थान देकर सक्रियता बढ़ाई जाए।
अमिताभ पांडे ने कहा अटेवा एनएमओपीएस के संघर्ष से मैं व्यक्तिगत तौर पर संतुष्ट हूं अभी तक अटेवा के संघर्ष से ही हमें काफी लाभ मिल चुका है। हमें ये बात भूलनी नहीं चाहिए और संघर्ष में लगे रहना चाहिए जिससे अंत में हमें ओपीएस प्राप्त हो सकें।
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कई शिक्षकों को पेंशन बहाली के लिए गंवानी पड़ी जान
जिला कोषाध्यक्ष ने संगठन की आर्थिक स्थिति पर अपना पक्ष रखा और अब तक का सम्पूर्ण हिसाब किताब सभी के समक्ष रखा और सुझाव दिया कि मंडलीय बैठक में यदि बंधु को बुला सकें तो मण्डल में सक्रियता लाई जा सकती है।
जिलाध्यक्ष मनीष शर्मा ने कहा जहां एक तरफ पूरी जिंदगी भर कर्मचारी या शिक्षक सरकारी सेवा करता है और जब बुढ़ापे में उन्हें पैसों की आवश्यकता होगी, तब मात्र कुछ रुपये ही पेंशन के रूप में प्राप्त होंगे। पुरानी पेंशन बहाल के लिए यह लड़ाई एक दिन की नहीं है। इस संघर्ष के लिए कई शिक्षकों ने अपनी जान तक गंवा दी है। इस लड़ाई में सभी को एकजुट होकर लड़ाई लड़ी है। जब पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
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