Ghaziabad: साजिश की हर हद पार करने वाली नर्स को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस नर्स ने मकान के चक्कर में अपनी इज्जत दांव पर लगा दी लेकिन मकान फिर भी हासिल नही कर पाई। दरसल मकान हड़पने के लिए निर्भया जैसी दरिंदगी की झूठी कहानी गढ़ने नर्स को अस्पताल से छुट्टी मिलते ही पुलिस ने शनिवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया। पुलिस ने यह कार्रवाई दिल्ली के जीटीबी अस्पताल से मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद की। रिपोर्ट से साफ हो गया कि नर्स ने प्राइवेट पार्ट पर खुद ही चोट मारी थी। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि दूसरों को फंसा सके। जीटीबी में भी भर्ती इसलिए हुई क्योकि अपने हिसाब से रिपोर्ट को मैनेज करा सके। इस पूरी साजिश से अनजान भाई से कह दिया था कि उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाली गई है। लोहे के छह इंच के जिस तार से उसने चोट मारी, उसे ही प्राइवेट पार्ट में रख लिया था। बताया गया है कि 13 साल से पति से अलग रह रही दिल्ली के कबीरनगर क्षेत्र की निवासी नर्स पर पुलिस को शक तो हो गया था।
ऐसे हुआ पुलिस को शक
नर्स ने कथित रूप से घायल अवस्था में 18 अक्तूबर की सुबह उसने गाजियाबाद के जिला एमएमजी अस्पताल में उपचार कराने से इनकार कर दिया था। उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जाने लगा तो वह इस जिद पर अड़ गई कि उसे जीटीबी अस्पताल ही भेजा जाए। जांच के बाद में पता चला कि वह जीटीबी में नर्स रही है, इसलिए उसे उम्मीद थी कि वहां झूठी कहानी को सच साबित करने के लिए फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनवाना आसान रहेगा, लेकिन ऐसा हो न सका। मेडिकल रिपोर्ट में कोई अंदरूनी चोट नहीं लगी।
पुलिस ने बताया कि शनिवार को मिली मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट में साफ है कि उसे कोई अंदरूनी चोट नहीं थी। इससे पहले उसके मोबाइल की लोकेशन से साफ हो गया था कि न तो उसका अपहरण हुआ और न ही उसे दो दिन बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया।
एक महिला पत्रकार को पैसे देकर खबर फैलाई
जांच पड़ताल में पता चला कि पूरी साजिश का हिस्सा एक महिला पत्रकार को भी बनाया गया। उसको पेटीएम से 5000 रूपये दिये गए ताकि इस खबर को फैलाया जा सकें। पुलिस पता लगा रही है कि पत्रकार को इस पूरी झुटी कानी का पहले से पता था या नही।