कोटा में दुनिया के सबसे ऊँचे रावण का दहन अधूरा रह गया: बारिश और तकनीकी खराबी ने किया मजा किरकिरा

The burning of the world’s tallest Ravana effigy remains incomplete in Kota News: राजस्थान के कोटा शहर में विजयादशमी के पावन पर्व पर दुनिया का सबसे ऊँचा 233 फीट का रावण पुतला दहन का इंतजार कर रहा था, लेकिन बारिश की फुहारों और तकनीकी खराबी ने इसकी चमक फीकी कर दी। 44 लाख रुपये की लागत से तैयार इस विशालकाय पुतले का दहन अधूरा रह गया। सेंसर आधारित दहन प्रणाली फेल हो गई, जिसके बाद फायर ब्रिगेड को उतारना पड़ा, लेकिन आखिरकार भी पुतला आधा-अधूरा ही जल सका।

कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला देशभर में अपनी भव्यता के लिए मशहूर है। इस बार भी 132वें मेले में रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को खड़ा किया गया था। पुतले को बनाने में 405 मीटर मखमली कपड़ा, 50 फीट लंबी तलवार और 44 फीट के जूते इस्तेमाल हुए थे। दहन के लिए 25 सेंसर लगाए गए थे, जो ग्रीन आतिशबाजी से नियंत्रित होने वाले थे। इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, ताकि दिल्ली के 210 फीट के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए कोटा का नाम दर्ज हो सके।

लेकिन शाम होते ही आसमान ने करवट ली। हल्की बारिश ने पुतले को भीगने का मौका दे दिया, जिससे पटाखों और आतिशबाजी का सिस्टम चरमरा गया। सेंसर फेल हो गए और रिमोट कंट्रोल से दहन शुरू नहीं हो सका। हजारों दर्शक रामलीला का आनंद ले रहे थे, लेकिन रावण के ‘अकड़ते’ खड़े रहने से माहौल में निराशा छा गई। आयोजकों ने कई कोशिशें कीं, लेकिन सफलता न मिलने पर फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। फायरमैनों ने अधजले हिस्सों को जलाने की कोशिश की, लेकिन पूरी तरह जलने में नाकाम रहे।

इस घटना ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। दैनिक भास्कर की एक पोस्ट में लिखा गया, “कोटा में नहीं जल सका दुनिया का सबसे ऊँचा रावण: फायर ब्रिगेड भी दहन करने में फेल, जयपुर में पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश।” वहीं, कई यूजर्स ने इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताते हुए व्यंग्य कसा कि “अब अच्छाई नहीं, बुराई जीतने लगी है।”

दशहरा मैदान में उत्सव के दौरान एक और हादसा टल गया। शोभायात्रा में शामिल एक हाथी पटाखों की तेज आवाज से बेकाबू हो गया। भीड़ की ओर दौड़ते ही अफरा-तफरी मच गई। लोग बैरिकेड्स फांदकर भागे, लेकिन महावत ने साहस से स्थिति संभाल ली। वीडियो वायरल हो गया, जिसमें हाथी की दहशत साफ दिख रही है। सौभाग्य से कोई गंभीर चोट नहीं लगी।

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बारिश के बावजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। आयोजन समिति के अध्यक्ष ने कहा, “हमने रिकॉर्ड बनाने का सपना देखा था, लेकिन प्रकृति के आगे सब नतमस्तक हैं। अगले साल और बेहतर तैयारी करेंगे।”

कोटा के इस अधूरे दहन ने न सिर्फ स्थानीय उत्साह को ठेस पहुंचाई, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। दशहरा का संदेश तो यही है- बुराई पर अच्छाई की जीत अंततः होती ही है, भले ही थोड़ी देर से।

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