थाई पीएम ने कहा, “भारत ने हमसे सहयोग मांगा है, वे नहीं चाहते कि यह हम पर बोझ बने। वे इन पीड़ितों को लेने के लिए विमान भेजेंगे… विमान सीधे माए सोत में उतरेगा।” उन्होंने
बताया कि कुल २८ देशों के १,५०० से अधिक लोग म्यांमार से भागकर थाईलैंड पहुंचे हैं, जिनकी देखभाल की जा रही है। भारतीय राजदूत स्थानीय आव्रजन प्रमुख से मिलकर पहचान सत्यापन प्रक्रिया को तेज करने पर चर्चा करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
पिछले सप्ताह से म्यांमार सेना केएके पार्क पर सैन्य अभियान चला रही है, जो थाई सीमा के पास स्थित है। यह पार्क चीनी अपराधी गिरोहों द्वारा संचालित ट्रांसनेशनल साइबर फ्रॉड का केंद्र है, जहां रोमांस स्कैम, बिजनेस घोटाले और अन्य ऑनलाइन धोखाधड़ी के जरिए अरबों डॉलर की कमाई होती है। स्थानीय मिलिशिया समूहों की निगरानी में चलने वाले इन केंद्रों में सैकड़ों हजारों लोगों को ट्रैफिकिंग के जरिए जबरन काम करवाया जाता है या आकर्षक नौकरी के लालच में फंसाया जाता है।
म्यांमार की सीमा क्षेत्र (थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया) कोविड-19 महामारी के बाद से इन फ्रॉड हब्स का गढ़ बन चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यहां लाखों लोगों की तस्करी हो चुकी है। इस साल फरवरी में क्षेत्रीय कार्रवाई के बाद ७,००० से अधिक कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया था।
भारत की सक्रिय भूमिका
भारत सरकार ने पहले भी ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की है। इस साल की शुरुआत में ३०० भारतीयों को दक्षिण-पूर्व एशिया के स्कैम सेंटर्स से बचाया गया था। फरवरी-मार्च २०२५ में म्यावाड्डी क्षेत्र से ५२६, २८३ और ५४९ भारतीयों को विशेष उड़ानों से वापस लाया गया। विदेश मंत्रालय ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) स्थापित कर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया से अब तक हजारों भारतीयों को सुरक्षित लाया जा चुका है। थाईलैंड ने भी सीमा पर इंटरनेट ब्लॉक लगाकर इन केंद्रों को तोड़ने में मदद की।
पीड़ितों की हालत और भविष्य
थाईलैंड में शरण लिए भारतीयों को अस्थायी आश्रय और सहायता दी जा रही है। कई पीड़ितों ने बताया कि वे फर्जी नौकरी के वादे पर फंस गए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ स्वेच्छा से गए, लेकिन ज्यादातर पीड़ित हैं।
भारतीय दूतावास ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन प्रत्यावर्तन जल्द शुरू होने की उम्मीद है। यह घटना दर्शाती है कि विदेशी नौकरियों में सावधानी बरतनी जरूरी है। सरकार ने नागरिकों को जागरूकता अभियान चलाने का आह्वान किया है।

