Supreme Court: प्राधिकरण के इन अफसरों पर कसेगा सुप्रीम शिकंजा, कोर्ट ने कहा पूरे सेटअप में गड़बड़
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Supreme Court: प्राधिकरण के इन अफसरों पर कसेगा सुप्रीम शिकंजा, कोर्ट ने कहा पूरे सेटअप में गड़बड़

Supreme Court: नोएडा। सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को गेझा तिलपताबाद के किसानों को दिए गए अतिरिक्त मुआवजे मामले में सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार या किसी एक को अधिक लाभ देने की आशंका का देखते हुए 1 जनवरी 2013 के बाद नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे अफसरों की सूची मांगी है। कोर्ट ने यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण को कई और निर्देश भी दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होनी है।
बात दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बैंच ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण से ऐसे दो या तीन मामलों का मूल रिकॉर्ड पेश करने को कहा। इस मामले में अधिक मुआवजा देने के आरोप हैं। इसके अलावा कोर्ट ने 20 अन्य किसानों के मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने ज्यादा मुआवजा मिलने के आरोपी किसानों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक किसी तरह का एक्शन नहीं लेने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अगले आदेश तक उनके खिलाफ जांच पर भी रोक लगा दी है। जिन मामलों में कोर्ट ने पहले से राहत दी है उस पर राहत जारी रहेगी। कोर्ट ने अपने आदेश में यूपी सरकार और नोएडा प्राधिकरण को दो सप्ताह का समय दिया है। इस अवधि में मांगी गई जानकारी कोर्ट को उपलब्ध करानी होगी। हो सकता है कि उस दौरान तैनात रहे अफसरों पर शिकंजा कस सकता है।

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गेझा तिलपताबाद मामले में प्राधिकरण के अधिकारी वीरेंद्र नागर को संस्पेड कर दिया गया था। मामले में कई अन्य अधिकारी भी निलंबित हुए हैं। वहीं प्राधिकरण ने इन अधिकारियों और कुछ किसानों के खिलाफ एफआईआर कराई है। आरोप है कि इन्होंने मिलीभगत कर तय मुआवजा से अधिक राशि किसानों को वितरित कर दी। वीरेंद्र नागर के मामले में 7.26 करोड़ अधिक मुआवजा वितरण का आरोप है। हालांकि प्राधिकरण के इसके बाद की जांच में करीब 80 करोड़ रुपये अधिक वितरण की आशंका जताई जा रही है।

कोर्ट का सख्त रूख
इस मामले में कोर्ट ने साफ कहा कि प्राधिकरण में पूरा सेटअप है जो कि इस तरह के काम करता है। जिसकी धरपकड़ करनी जरूरी है। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकता है। अब तक की जांच में किसी अन्य अधिकारी का नाम सीधे तौर पर नहीं आया है। लेकिन बताया जा रहा है कि 2013 के बाद के अधिकारी कोर्ट के रडार पर हैं। मुआवजा वितरण केस में सीईओ, एसीईओ स्तर के अफसरो पर गाज गिर सकती है।

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