सुप्रीम कोर्ट ने अब पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई करते हुए मंगलवार को इस मामले की याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को भी कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने एलोपैथी डॉक्टरों द्वारा मरीजों को कथित तौर पर ‘महंगी और गैरजरूरी’ दवाएं लिखने पर नाराजगी जताई।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने आईएमए से अपना ‘घर ठीक’ करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने देश में डॉक्टरों के इस सबसे बड़े संघ से कहा कि ‘चार उंगलियां’ आप पर भी उठ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से सवाल किया, ‘आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथी की ऐसी दवाएं लिख रहे हैं। अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) से सवाल क्यों नहीं करना चाहिए?
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सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से मरीजों को दी जाने वाली ‘महंगी और गैरजरूरी’ दवाओं के संबंध में कथित ‘अनैतिक कृत्यों’ के संबंध में अपना रुख साफ करने को कहा कि आईएमए के इन कथित अनैतिक आचरणों को लेकर भी कई शिकायतें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह मामला केवल इस अदालत के समक्ष प्रतिवादियों (पतंजलि आयुर्वेद) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य एफएमसीजी कंपनियां भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं। ये खास तौर से उन शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं३ जो उनके उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, ‘जिस तरह का कवरेज हमने देखा है। अब हम सभी को देख रहे हैं. हम बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं और किसी को भी धोखा नहीं दिया जा सकता है और केन्द्र सरकार को इस पर जागना चाहिए।