भड़काऊ भाषणों के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक विमर्श के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हमारे देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान वक्ता थे लेकिन आज उनकी जगह लेने की बजाय भड़काऊ भाषण देने वाले आ गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट की अवमानना के मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक विमर्श के गिरते स्तर पर जतायी चिंता
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील निजाम पाशा ने जनाक्रोश रैली में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयानों पर सवाल उठाया। इस सुनवाई के दौरान सकल हिंदू समाज की ओर से कहा गया कि उसके संगठन को धार्मिक जुलूस निकालने का अधिकार है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जुलूस निकालने का अधिकार है लेकिन क्या ऐसी रैली के जरिये आपको देश का कानून तोड़ने की इजाजत दी जा सकती है। ऐसी रैली के जरिये ऐसी बातें कही जा रही हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय को नीचा दिखाने वाली हैं।
कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों को जाने के लिए कहा जा रहा है। उन लोगों को, जिन लोगों ने इस देश को अपना देश चुना। वे लोग आपके ही भाई-बहन हैं। कोर्ट ने कहा कि भाषण का स्तर इस हद तक नीचे नहीं जाना चाहिए। हमारा देश विभिन्न नेताओं को स्वीकार करता है और यही हमारी संस्कृति भी है।
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जस्टिस नागरत्ना ने भी चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि सवाल यह है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। हमारे पास जवाहर लाल नेहरू और वाजपेयी जैसे स्पीकर रहे हैं। नेहरू की मध्यरात्रि की उस स्पीच को देखिए। उन्होंने कहा कि बयानों में अब कितना अंतर देखने को मिल रहा है। अब हर पक्ष से इस तरह के आपत्तिजनक बयान सामने आ रहे है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कोर्ट इन मामलों से कैसे निपटेगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने का बेहतर तरीका है कि हम संयम बरतें और दूसरे सम्प्रदाय के लिए कोई अप्रिय बात ही नहीं कहें।