Supreme Court ने देशभर की जेलों में कैदियों की बदतर स्थिति पर जताई चिंता
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Supreme Court ने देशभर की जेलों में कैदियों की बदतर स्थिति पर जताई चिंता

Supreme Court : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में कैदियों की बदतर स्थिति पर चिंता जताई है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। Supreme Court ने इस मामले में एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद डीएम और एसपी कमेटियों की बैठक में शामिल नहीं हुए। कोर्ट ने यूपी, बिहार और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे दो हफ्ते में इस बात का हलफनामा दें कि वे जेलों की हालत सुधारने के लिए कैसे कदम उठाएंगे।

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गौरव अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 16 राज्यों की जेलों में अत्यधिक भीड़ है। इन राज्यों की जेलों में महिला कैदी काफी बुरी स्थिति में हैं। उन्हें न तो चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है, न ही साफ-सफाई का वातावरण। गौरव अग्रवाल ने यूपी के 74 जेलों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य की जेलों में क्षमता बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की काफी जरूरत है। गौरव अग्रवाल ने बिहार के 59 जेलों में अत्यधिक भीड़ पर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार की जेलों में बुनियादी मानव अधिकार भी कैदियों को उपलब्ध नहीं हैं। रिपोर्ट में पंजाब और छत्तीसगढ़ की जेलों की हालत पर भी चिंता जताई गई है।

बतादें कि 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों भीड़ को कम करने के लिए जिला स्तरीय कमेटियों के दायरे का विस्तार कर दिया था, जिनका गठन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से किया जाना है। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि ये कमेटियां जेलों में बंद महिला कैदियों की समस्याओं पर भी गौर करेंगी। कोर्ट ने 09 फरवरी को देशभर की जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भधारण की चिंताजनक संख्या पर स्वत: संज्ञान लिया था। दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिये पश्चिम बंगाल की जेलों और सुधार गृहों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की परेशान करने वाली प्रवृति के बारे में बताया गया।

इसके पहले 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जिला स्तरीय कमेटियों के गठन का निर्देश दिया था। इन कमेटियों को जेलों में मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का आकलन करने और जेलों में दूसरी अतिरिक्त सुविधाओं की जरूरतों का निर्धारण करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन कमेटियों में डिस्ट्रिक्ट जज, जिला विधिक सहायता सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, जिला पुलिस अधीक्षक और जेल अधीक्षक शामिल होंगे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

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