लद्दाख में GEN जेड प्रोटेस्ट को लेकर सोनम वांगचुक NSA के तहत हुए गिरफ्तार, हिंसा, इंटरनेट बंद और बढ़ता तनाव

Sonam Wangchuk arrested under NSA: लद्दाख में राज्य का दर्जा बहाल करने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के प्रमुख नेता, प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई लेह में गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हुई, जिसमें सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद प्रशासन ने लेह में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं और कई इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है।

क्या है मामला?
सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत क्षेत्र को विशेष संरक्षण प्रदान करने की मांग कर रहे हैं। यह अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता और संरक्षण प्रदान करती है। वांगचुक के नेतृत्व में लेह-लद्दाख में कई संगठनों ने इस मांग को लेकर प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था। गुरुवार को यह आंदोलन हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव हुआ। इस घटना में चार लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए।

स्थानीय संगठनों और वांगचुक के समर्थकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने लद्दाख की मांगों को अनसुना किया है, जिसके कारण आंदोलन तेज हुआ। 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से यह मांग लगातार उठ रही है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और उनकी सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहचान की रक्षा हो।

गिरफ्तारी और इंटरनेट बंद
शुक्रवार को सोनम वांगचुक को NSA के तहत गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उन्हें उनके घर ले गई। इस कार्रवाई के बाद लेह में तनाव बढ़ गया है। प्रशासन ने एहतियातन इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं, ताकि अफवाहों और आगे के प्रदर्शनों को रोका जा सके। कई इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

प्रतिक्रियाएं और विवाद
वांगचुक की गिरफ्तारी ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर विवाद को जन्म दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और सरकार लोकतांत्रिक मांगों को दबाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि हिंसा और अशांति को रोकने के लिए यह कदम जरूरी था।
कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा की है। कुछ ने इसे “लोकतंत्र का गला घोंटने” की कार्रवाई करार दिया है, जबकि अन्य ने केंद्र सरकार से लद्दाख की मांगों पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है।

आगे क्या?
लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने आंदोलन को और तेज करने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे का समाधान तभी संभव है, जब केंद्र सरकार और स्थानीय नेताओं के बीच सकारात्मक संवाद हो।
इस बीच, लद्दाख की जनता अपनी मांगों को लेकर एकजुट है। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इन मांगों पर कोई ठोस कदम उठाएगी, या यह आंदोलन और उग्र रूप लेगा।

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