बहनजी ने भतीजे पर साधा निशाना, सपा कर रही दलित-ओबीसी का अपमान
बसपा सुप्रीमो मायावती यानी बहनजी ने एमएलसी चुनाव को लेकर सपा यानी भतीजे पर सीधे निशाना साधा है। मायावती ने ट्वीट करके लिखा- एमएलसी चुनाव में हार तय होने के बावजूद सपा ने दलित और ओबीसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा। ज्यादा संख्याबल होने की अनदेखी की गई। यह दिखाता है कि इन वर्गों के प्रति सपा की षडयंत्रकारी नीति बदली नहीं है। बता दें कि यूपी में सोमवार को विधान परिषद की दो सीटों पर चुनाव हुए। दोनों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की। इसमें एक सीट पर भाजपा प्रत्याशी पद्मसेन चैधरी जबकि दूसरी सीट पर भाजपा के मानवेंद्र ने जीत दर्ज की थी। पद्मसेन ने 165 और मानवेंद्र ने 164 वोटों से जीत मिली थी। इस चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने ओबीसी प्रत्याशी रामजतन राजभर और दलित प्रत्याशी रामकरन निर्मल को उतारा था।
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सपा के प्रत्याशी उतारने के कारण यूपी में 20 साल बाद डस्ब् उपचुनाव के लिए वोटिंग करानी पड़ी थी। जबकि आमतौर पर उपचुनाव में निर्विरोध ही चुनाव हो जाता रहा है। अहम बात यह भी थी कि संख्याबल के आधार पर पहले से ही दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत तय थी। मायावती ने अगले ट्वीट में लिखा सपा के शासन के दौरान भी ऐसी ही घृणित राजनीति से दलित और पिछड़े समाज के लोगों का काफी अहित होता रहा है। आगे ऐसे नुकसान से बचने के लिए इन वर्गों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। बसपा की ये अपील है। मायावती के इस बयान को आगामी लोकसभा चुनाव की दलित और पिछड़ा वर्ग की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब मायावती ने दलित-पिछड़ा वर्ग को लेकर सपा को घेरा है।
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इससे पहले भी मुस्लिम वोट बैंक को लेकर भी वह सपा पर निशाना साध चुकी है।यूपी के वरिष्ठ पत्रकार प्रभा शंकर मायावती के इस बयान दलित और ओबीसी वोट बैंक को बसपा के पाले में लाने की कोशिश के तहत देखते हैं। उपचुनाव में, बसपा के विधायकों ने वोट नहीं किया। चुनाव परिणाम के बाद मायावती ने सवाल उठाए। ये दलित और ओबीसी वोट बैंक को सुरक्षित रखने का प्रयास जैसा लगता है। ये कहना ठीक नही होगा कि मायावती के सभी आरोप ठीक है। क्योकि राजनीति में हार जीत का डर होना बेहद गलत है।