सुरक्षा की चूक या सिस्टम की कमजोरी? बिहार चुनाव के बीच उठे सवाल

Red Fort Metro Station blast news: राजधानी दिल्ली के दिल में सोमवार शाम को हुए भयानक कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के निकट एक कार में हुए विस्फोट से 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 26 से अधिक घायल हैं। इस घटना ने न केवल इंटेलिजेंस एजेंसियों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि गृह मंत्रालय की प्राथमिकताओं पर भी उंगली उठाई है। इसी बीच, बिहार विधानसभा चुनाव अपने निर्णायक चरण में पहुंच चुके हैं, जहां एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।

क्या ये दोनों घटनाएं संयोग हैं या चुनावी हलचल के बीच सुरक्षा को दरकिनार किया जा रहा है? विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली ब्लास्ट सिस्टम की सामूहिक नाकामी का प्रतीक है, जो बिहार चुनाव के नतीजों से राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है।

दिल्ली ब्लास्ट
सोमवार शाम करीब 6:52 बजे लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास एक धीमी गति से चल रही कार रुकते ही धमाके से उड़ गई। शुरुआती जांच में कार में विस्फोटकों की मौजूदगी का पता चला है, जिससे आसपास की कई गाड़ियां जलकर राख हो गईं।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा ने बताया कि ब्लास्ट इतना जबरदस्त था कि एक बड़ा फायरबॉल और मशरूम क्लाउड बन गया। मृतकों में बिहार के समस्तीपुर जिले के युवक पंकज सहनी भी शामिल हैं, जो दिल्ली में कैब चलाकर परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। घायलों में महिलाएं और बच्चे भी हैं, जिनका इलाज लोक नायक अस्पताल में चल रहा है।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “अगर राजधानी में विस्फोटक पहुंच जाता है, तो यह सिर्फ इंटेलिजेंस फेल नहीं—बल्कि सिस्टम की सामूहिक नाकामी है।”

गृह मंत्रालय ने ब्लास्ट के 20 घंटे बाद ही मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान दौरे के दौरान कहा, “इस भयानक घटना ने सबको दुखी कर दिया है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, हम षड्यंत्र की तह तक जाएंगे।” गृह मंत्री अमित शाह ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और कहा कि “सभी पहलुओं की जांच हो रही है।”

प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार का मालिक सलमान को गिरफ्तार किया गया है, जो पहले कई बार कार खरीद-बिक्री कर चुका था। सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया कि कार में सवार संदिग्ध पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) का डॉक्टर उमर था, जो एक इस्लामिक आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। दिल्ली पुलिस ने यूएपीए और विस्फोटक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है। एनआईए को अब यह पता लगाना है कि क्या यह सुसाइड बॉम्बिंग थी या किसी बड़े साजिश का हिस्सा।

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी जोन में विस्फोटकों की घुसपैठ चिंताजनक है। पूर्व आईबी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “फरीदाबाद में हाल ही में 2,900 किलो विस्फोटक बरामद हुए थे। क्या इंटेलिजेंस इनपुट्स को नजरअंदाज किया गया?” विपक्ष ने भी हमला बोला है। कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, “यह दुखद है, लेकिन सरकार को जवाबदेही लेनी चाहिए।” यूएस दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए अलर्ट जारी किया है, जबकि चीन के राजदूत ने शोक व्यक्त किया।

गवर्नेंस vs इलेक्शन मैनेजमेंट
दिल्ली ब्लास्ट के ठीक एक दिन बाद बिहार में दूसरे और अंतिम चरण का मतदान हो रहा है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावी प्रबंधन ने सुरक्षा को ओवरशैडो कर दिया है? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार चुनाव के बीच दिल्ली जैसी घटना राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित बहस को प्रभावित करेगी। क्या गृह मंत्रालय इस पर स्पष्ट जिम्मेदारी लेगा? अमित शाह ने कहा है कि “सुरक्षा एजेंसियां जल्द निष्कर्ष पर पहुंचेंगी,” लेकिन विपक्ष पूछ रहा है कि चुनावी रैलियों के बीच खुफिया तंत्र क्यों कमजोर पड़ा?

बिहार चुनाव
बिहार में 11 नवंबर को दूसरे चरण के लिए 122 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें 3.70 करोड़ वोटर भाग ले रहे हैं। पहले चरण में 64% से अधिक वोटिंग हुई, जो विकास के मुद्दे पर केंद्रित रही। एनडीए (जेडीयू-बीजेपी) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) के बीच टक्कर कायम है। जेडीयू और बीजेपी ने प्रत्येक 101 सीटें ली हैं, जबकि एलजेपी को 29 मिलीं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रणनीति बदलती नजर आ रही है। उनकी ‘पेंसिल पावर’ (गठबंधन में सीट शेयरिंग) ने बीजेपी के साथ असहजता पैदा की है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने स्पष्ट कहा, “नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे, कोई वैकेंसी नहीं है।”

लेकिन बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने तेजस्वी पर निशाना साधा, “वह मौसम खराब होने पर घर से बाहर नहीं निकलते, लेकिन ईवीएम पर आरोप लगाते हैं।” तेजस्वी यादव का टोन बदल गया है—वह अब रोजगार और सामाजिक न्याय पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “बिहार को रिजल्ट चाहिए, जुमले नहीं। प्रत्येक घर में एक नौकरी का वादा करेंगे।”

महागठबंधन ने तेजस्वी को सीएम फेस घोषित किया है, जबकि एनडीए में नीतीश की वापसी तय मानी जा रही है। जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) ने सभी सीटों पर दांव लगाया है, जो त्रिकोणीय मुकाबला बना रही है। पहले चरण में तेजस्वी की रघोपुर सीट पर दांव लगा है, जहां बीजेपी के सतीश कुमार उनका मुकाबला कर रहे हैं। नीतीश के 12 मंत्री मैदान में हैं, जिनकी किस्मत दांव पर है।

वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी रिकॉर्ड तोड़ रही है, जो नीतीश की कल्याण योजनाओं (जैसे साइकिल स्कीम) का असर माना जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा, “एनडीए 180 सीटें जीतेगी, विकास का संदेश पहुंचा है।” वहीं, तेजस्वी ने ईसीआई पर सवाल उठाए, “पहले चरण के जेंडर-वाइज डेटा क्यों नहीं जारी?”

क्या बिहार नतीजे दिल्ली की राजनीति को हिला देंगे?
14 नवंबर को बिहार नतीजे आने हैं। अगर महागठबंधन जीता, तो तेजस्वी की सरकार राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को मजबूत करेगी, जो दिल्ली ब्लास्ट जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार को घेर सकती है। एनडीए की जीत ने नीतीश को मजबूत बनाएगी, लेकिन गठबंधन की दरारें (जैसे सीट शेयरिंग) भविष्य में चुनौती देंगी। विशेषज्ञ कहते हैं, “बिहार का असर दिल्ली पर पड़ेगा—सुरक्षा और गवर्नेंस के बहस को नया मोड़ मिलेगा।”

देश इस दोहरी चुनौती से जूझ रहा है। क्या सिस्टम सुधरेगा या चुनावी धूल में दब जाएगा? नतीजे इंतजार कराते हैं।

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