एक वक्त था जब यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में लोग जमीन लेने में कोई रुचि नहीं दिखते थे। जिनका भूखंड यहां निकल भी जाता था, वह कुछ दिन बाद उसे बेचने में असफल होने पर सिरेंडर करने के लिए चले जाते थे। धीरे-धीरे वक्त बदलता चला गया। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुण वीर सिंह ने अपनी सकारात्मक सोच के जरिए प्राधिकरण के दिन ही बदल दिए। हालांकि इनसे पहले भी कई सीईओ आए और महेनत की। अब सीईओ के साथ-साथ ओएसडी शैलेंद्र भाटिया व अन्य स्टाफ ने पूरी मेहनत की। ताकि यमुना प्राधिकरण को ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सके। जितने भी यमुना प्राधिकरण के आवंटी हैं सभी को मालामाल कर दिया गया है। इसका कारण है जमीन के रेट में अचानक से उछाल आना आवासीय और औद्योगिक भूखंडों को लेने वाले लोगों की सूची छोटी नहीं है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसका यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भी एक प्रॉपर्टी होनी चाहिए।
प्रॉपर्टी बाजार के हिसाब से देखा जाए तो यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की जमीन के रेट काफी बढे है। अब 300 मी का भूखंड एक से सवा करोड रुपए के बीच बिकने लगा है। 162 मी के भूखंडों की मार्केट वेल्यू करीब 80 से 90 लाख हो गई है। हालांकि प्राधिकरण के रेट के हिसाब से 300 मी प्लॉट करीब 73 का होगा। जिन लोगों को पहले ही भूखंड आवंटित हो चुके हैं उन्होंने 300 मीटर के भूखंड 20 से 25 लाख के बीच में लिए थे । अब लोगों यहां बड़े बड़े भूखंड ले रहे है। अपने सपनों का आशियाना बसाने की कोशिश कर रहे है। यही कारण है कि सप्लाई कम और डिमांड ज्यादा होने के कारण यमुना प्राधिकरण की प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। प्राधिकरण क्षेत्र को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा जितने भी आधुनिक परिवहन के मॉडल हैं चाहे वह मेट्रो हो या फिर रैपिड रेल पॉड टैक्सी जैसी सुविधाएं यहां देने की प्लानिंग है। सोने पर सुहागा जेवर एयरपोर्ट, जिसका काम भी बहुत तेजी से चल रहा है। आपको बता दें कि प्राधिकरण की कोई भी स्कीम आती है तो उसमें भूखंड लेने वालों की लाईन लग जाती है। इतना ही नही 400 भूखंडों के लिए करीब 1 लाख आवेदन आए थे।