Reservation: बिहार में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सर्वो. न्या. में चुनौती देंगे तेजस्वी
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Reservation: बिहार में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सर्वो. न्या. में चुनौती देंगे तेजस्वी

Reservation: पटना: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि यदि बिहार सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और ईबीसी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने के कानून को रद्द करने वाले पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने में विफल रहती है तो वह इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।

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श्री यादव ने गुरुवार को यहां कहा कि राजद इस फैसले से ‘आहत’ है और इस मुद्दे पर लड़ाई जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि यदि बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कोई अपील करने में विफल रहती है तो वे सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अनुरोध करेंगे कि वे प्रधानमंत्री से संपर्क कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण कोटा संबंधी पिछली सरकार के फैसले को अनुसूची नौ में शामिल करवाएं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के समक्ष आसानी से उठाने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो सभी दलों का संबंधित प्रस्ताव प्रधानमंत्री को सौंपा जा सकता है।

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श्री यादव ने आरोप लगाया कि उन्हें लंबे समय से आशंका थी कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आरक्षण को खत्म करने के लिए कोई गलत चाल चल रही है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विपक्ष ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक सभाओं में अपनी शंकाएं खुलकर व्यक्त की थीं। उन्होंने भाजपा पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि भगवा ब्रिगेड ने न्यायालय में कई जनहित याचिकाएं दायर कर जातिगत सर्वेक्षण को विफल करने का प्रयास किया था, लेकिन तत्कालीन महागठबंधन सरकार, जिसमें राजद प्रमुख भागीदार था, ने इसे सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर पिछले वर्ष नवंबर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सीमा में छेड़छाड़ किए बिना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में तत्कालीन महागठबंधन सरकार ने केंद्र सरकार से इस निर्णय को अनुसूची नौ में शामिल करने की अनुशंसा की थी, ताकि यह तमिलनाडु की तर्ज पर बरकरार रहे। लेकिन, छह महीने बीत जाने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस पर अमल नहीं किया।

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श्री यादव ने इस मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर उंगली उठाते हुए कहा कि जातिगत सर्वेक्षण से लेकर आरक्षण सीमा बढ़ाने तक, तत्कालीन महागठबंधन सरकार के मुखिया के रूप में श्री नीतीश कुमार ने राजद का समर्थन किया था, लेकिन ‘यू’ टर्न लेते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल होने के बाद वे रहस्यमय तरीके से इस पर चुप हो गए। उन्होंने कहा कि यह शोषित वर्गों का अधिकार है कि उन्हें उनकी जाति की जनसंख्या के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व और आरक्षण मिले।

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