पंजाब में बाढ़ ने मचाई तबाही के बीच राहत कार्य तेज, मवेशियों और फसलों की बर्बादी से किसान हो रहे परेशान

Punjab/Flood News: पंजाब, जिसे कभी “उड़ता पंजाब” के नाम से जाना गया था, आज “डूबता पंजाब” बन गया है। अगस्त-सितंबर 2025 में भारी बारिश और सतलुज, ब्यास, रवि, और घग्गर नदियों के उफान ने राज्य में अभूतपूर्व बाढ़ ला दी है। यह आपदा 1988 की बाढ़ से भी अधिक विनाशकारी मानी जा रही है। 23 जिलों के 1,655 से 1,902 गांव जलमग्न हो चुके हैं, और 3.5 से 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। अब तक 37 से 43 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों हेक्टेयर फसलें और मवेशी बर्बाद हो गए हैं। इस संकट के बीच राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं, लेकिन प्रभावित लोग और किसान भारी निराशा में हैं।

बाढ़ की तबाही: फसलें, मवेशी और घर जलमग्न
पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का, होशियारपुर, कपूरथला, और पठानकोट जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गुरदासपुर में 40,169 हेक्टेयर से अधिक और पूरे राज्य में 1.75 लाख से 3 लाख एकड़ फसलें, खासकर धान और मक्का, पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। जालंधर के बस्ती शेख में घर ढह गए, और कई गांवों में पानी कमर तक भर गया। मवेशियों को बचाने की कोशिश में किसान परेशान हैं, क्योंकि कई पशु बाढ़ में बह गए या भोजन की कमी से मर रहे हैं। प्रभावित लोग अपने घरों और सामान को छोड़कर राहत शिविरों में जाने को मजबूर हैं, लेकिन कई मवेशियों और सामान की सुरक्षा के लिए शिविरों में जाने से हिचक रहे हैं।

किसानों का कहना है कि यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी त्रासदी है। गुरदासपुर के एक किसान, बलविंदर सिंह, ने कहा, “हमारी पूरी फसल डूब गई, मवेशियों को खिलाने के लिए चारा नहीं बचा। सरकार मुआवजा दे रही है, लेकिन यह नुकसान की भरपाई के लिए काफी नहीं।” कई प्रभावित लोगों ने केंद्र सरकार पर राहत पैकेज में देरी का आरोप लगाया है।

राहत और बचाव कार्य: सेना, NDRF और स्वयंसेवी संगठन सक्रिय
पंजाब सरकार, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में, राहत कार्यों को तेज करने में जुटी है। सेना, वायुसेना, NDRF, और BSF की टीमें दिन-रात बचाव अभियान चला रही हैं। अब तक 20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जिनमें गुरदासपुर से 5,581, फिरोजपुर से 3,495, और फाजिल्का से 2,422 लोग शामिल हैं। 196 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां भोजन, दवाइयां, सैनिटरी पैड, और पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।

भारतीय वायुसेना के Mi-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों ने पठानकोट और गुरदासपुर जैसे क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकाला और राहत सामग्री पहुंचाई। गुरदासपुर के जवाहर नवोदय विद्यालय से NDRF और BSF ने 381 छात्रों और 70 शिक्षकों को सुरक्षित निकाला। पंजाब सरकार ने 117 नावें और एक हेलीकॉप्टर राहत कार्यों में लगाया है। मेरठ के किसानों ने भी भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में 10 मीट्रिक टन राहत सामग्री भेजकर मदद का हाथ बढ़ाया।

प्रशासनिक पहल और चुनौतियां
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। पंजाब सरकार ने फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश दिए हैं, ताकि किसानों को मुआवजा दिया जा सके। कपूरथला के लिए 2 करोड़ रुपये की राहत राशि जारी की गई है, और बांधों को मजबूत करने के लिए विशेष अभियान की योजना है। मुख्यमंत्री ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये का रुका हुआ फंड और प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजे की मांग की है।

हालांकि, राहत कार्यों की धीमी गति पर विपक्ष ने आलोचना की है। कई लोग मवेशियों और सामान की चिंता में शिविरों में नहीं जा रहे। बांधों के प्रबंधन और रखरखाव पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि रणजीत सागर डैम और माधोपुर हेडवर्क्स के गेट टूटने से स्थिति और बिगड़ी।

सामाजिक संगठनों की भूमिका
सिख गुरुद्वारे और संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों जैसे स्वयंसेवी संगठन भी राहत कार्यों में सक्रिय हैं। संत रामपाल जी के सेवादारों ने सतलोक आश्रम खमाणों और धूरी से राशन, तिरपाल, और अन्य सामग्री बांटी। SGPC और अन्य NGOs ने भी भोजन और शरण की व्यवस्था की है।

आगे की राह
पंजाब की इस बाढ़ ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि लोगों के मनोबल को भी तोड़ा है। किसानों का कहना है कि मुआवजा और राहत सामग्री तात्कालिक मदद तो दे सकती है, लेकिन फसलों और मवेशियों की बर्बादी का दर्द लंबे समय तक रहेगा। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

पंजाब सरकार और केंद्र को मिलकर न केवल तत्काल राहत, बल्कि दीर्घकालिक समाधान जैसे बेहतर बांध प्रबंधन और बाढ़ रोकथाम योजनाओं पर काम करना होगा। इस संकट में एकजुटता और त्वरित कार्रवाई ही पंजाब को “डूबता पंजाब” से फिर से “हलचल भरा पंजाब” बनाने की उम्मीद जगा सकती है।

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