Rajasthan: देवीय भूमि ओरण को संरक्षित रखने की प्रधानमंत्री से मांग

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Rajasthan: जैसलमेर: राजस्थान में लोक संस्कृति और पश्चिमी राजस्थान की परम्परा की परिचायक देवीय भूमि ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने और इसे संरक्षित रखने की मांग को लेकर जैसलमेर की ओरण टीम ने पोस्टकार्ड अभियान चलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। पिछले 12 दिनों में टीम द्वारा अब तक 26 हजार पोस्ट कार्ड हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, कन्नड़, राजस्थानी आदि भाषाओं में लिखकर एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भिजवाये हैं। यह अभियान अनवरत जारी है। ओरण टीम द्वारा आगामी दिनों में कुल एक लाख पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भिजवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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ओरण को संरक्षित रखने और राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने को लेकर जैसलमेर में पिछले कुछ वर्षों से टीम ओरण के लोग आंदोलन कर रहे हैं। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा सौर और पवन ऊर्जा कम्पनियों को ओरण भूमि बड़ी संख्या में आवंटित करने को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। ओरण प्रेमी ग्रामीण लगातार धरने प्रदर्शन करने में जुटे हैं। राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिलने के बाद ओरण टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पोस्टकार्ड के जरिये पहुंचाने के लिये अभियान चलाकर 26 हजार पोस्टकार्ड भेजे हैं। इन पोस्टकार्डों में जैसलमेर जिले के ग्रामीणों सहित प्रवासी जैसलमेर वसियों ने महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ओरण टीम के मुख्य प्रवक्ता सुमेर सिंह भाटी सांवता ने बताया कि जैसलमेर कि समस्त ओरण पशुपालकों के लिये महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था इसी से संचालित है। पशुओं के चरने का मुख्य स्थान है। ऐसे में हम हर हाल में ओरण को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पोस्टकार्ड के जरिये आंदोलन चलाया गया, जिससे हम अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचा सके। प्रधाननमंत्री हमारी मदद करेंगे हमें विश्वास है। उन्होंने बताया कि विकास के नाम पर ओरण, गोचर और चारागाह की आरक्षित जमीनों को ऊर्जा कंपनियों को सरकारें आवंटित करके ग्रामीण क्षेत्रों के शुद्ध वातावरण को दूषित कर रही हैं। वहीं, पशु-पक्षियों के जीवन पर संकट आ गया है। मरु प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं, रेगिस्तान की शान खेजड़ी के पेड़ बड़े पैमाने पर काटे जा रहे हैं। खेजड़ी पेड़ की हो रही बड़े पैमाने पर कटाई के विरोध में गुरुवार को बीकानेर बंद रखा गया।

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